गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. योग
  3. आलेख
  4. योग सिर्फ युवाओं के लिए
Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : गुरुवार, 20 जून 2024 (11:42 IST)

योग सिर्फ युवाओं के लिए

yoga day
योग सिर्फ युवाओं के लिए ही होता है। आप सोच रहे होंगे क्या बच्चे और बुजुर्गों के लिए योग नहीं होता। होता है लेकिन उनके लिए जीवन में योग का महत्व अलग है। बुजुर्ग योग करते हैं, लेकिन उनकी चिंता सिर्फ स्वास्थ को लेकर होती है और वे भी सुविधाजनक योग करते हैं। युवाओं के सामने तो अभी संपूर्ण संसार पड़ा है। अभी तो हिमालय का शिखर चुमना है इसीलिए हम कहते हैं कि योग की आवश्यकता युवाओं के लिए ज्यादा है, तो सही कहते हैं।
 
युवा कौन नहीं?
 
सिगरेट-बीयर पीने, गाली बकने, किसी पार्टी या धर्म का झंडा ऊँचा करने और राइडर बनकर घुमने से कोई युवा कैसे हो सकता है। होता है क्या? वह तो भीड़ का हिस्सा मात्र है। भीड़ या तो भेड़िए की जात होती है या भेड़ की। भीड़ का दिमाग नहीं होता। इस तरह के सारे तथाकथित युवा एक जैसा ही सोचते और व्यवहार करते हैं। आप इनका निरीक्षण करेंगे तो पता चलेगा कि ये बुद्धिहीन मूढ़ प्रजाति उसी तरह है जिस तरह की जंगल के अन्य कई जानवरों के युवा होते हैं।
 
कुछ बच्चे शरीर और मन दोनों से ही बच्चे होते हैं, लेकिन कुछ बच्चे शरीर से तो बच्चे होते हैं किंतु मन से युवाओं की तरह व्यवहार करते हैं। इसी तरह कुछ बुजुर्ग मन से युवा होते हैं। बहुत से युवाओं को देखा है जो बचकानी बातें और हरकतें करके स्वयं को बच्चा साबित कर देते हैं और कुछ युवा इतने हताश और निराश दिखाई देते हैं कि बुजुर्ग भी शर्मा जाए।
 
युवाओं के लिए ही योग क्यों?
 
दिमागी और शारीरिक रूप से स्वस्थ तो हम है ही। यह फ्रेशनेस तो हम प्रकृति से छीन लेंगे, क्योंकि यह तो हमारा अधिकार है ही। अब सवाल उठता है कि फिर योग क्यों करें। अरे भाई धनुर्विद्या के पूर्व ध्यान और योग तो सीखना ही पड़ता था क्योंकि उसी से तो यौद्धा अस्त्र-शस्त्र में निपुण हो पाते थे। ध्यान के बाद धनुष चलाओगे तो तीर एक ही बार में सही निशाने पर लगेगा...समझे। कुछ यौद्ध ऐसे होते थे जो अपनी सोच से ही लक्ष्य को भेद देते थे! नाहक तीर चलाने की मेहनत क्यों करें?
 
बौद्ध काल में भिक्षुओं को योग, मार्शल आर्ट और जुडो कराते जैसी विद्याएँ सीखना पड़ती थी। आप सोचेंगे की भिक्षुओं को तो तप और ध्यान से ही वास्ता रखना चाहिए तो ऐसी बात नहीं है। पहले के जंगल और जंगली जानवर और जंगली मानव खतरनाक होते थे। पहले के प्राकृतिक प्रकोप भी कम भयानक नहीं थे।
 
पहले का संन्यासी यौद्धाओं से कहीं ज्यादा खतरना होता था तभी तो मोक्ष जैसी बड़ी चीज को बाज की तरह झपट्टा मारकर पकड़ने की लिए शक्ति जुटाता था। मोक्ष कोई बच्चों और बुजुर्गों का खेल नहीं है, समझे। उसी तरह आज के आधुनिक जीवन में नए तरह के जंगली मानव निर्मित हो गए है अब तो योग की और जरूरत बढ़ गई है अन्यथा तुम भी बुढ़े होकर मरने का इंतजार करो।
 
युवाओं के लिए योग का फार्मेट :
 
जब हम कहते हैं 'योग' तो इसका मतलब सिर्फ आसन से नहीं होता। योग तो यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि के संपूर्ण प्रकारों का नाम हैं। उक्त प्रथम पाँच में से चुन लो दो-दो प्रकार। वैसे भी आप अपना फार्मेट खुद बनाएँगे तो बेहतर होगा। योग कहता हैं कि अनुसरण करना दूसरी आत्महत्या है। हाँ, यहाँ यह सलाह तो दी जा सकती है कि शुरुआत अंग संचालन से की जाना चाहिए।

 
क्या होगा योग करने से?
 
पहली बात तो यह सवाल आप खुद से ही पूछें। आपकी प्रॉब्लम क्या है, उसे जानें। खुद-ब-खुद उत्तर निकलकर आएगा। युवा होने और दिखने के लिए भी योग तो करना ही पड़ेगा। बारह से प्राप्त नकली आत्मविश्वास, सेहत या योग्यता के अन्य आयाम कब तक टिके रहेंगे। कोई शेर आपके सामने आकर खड़ा हो जाएगा तो कैसे उसकी आँखों में देखकर बात करोगे? अंग्रेजी, पीडी क्लास या मैनेजमेंट की क्लास में चिल्ला-चिल्लाकर बढ़ाया गया आत्मविश्वास आखिर कब तक टिका रहेगा। क्या तुम खड़े रह सकते हो पहाड़ की उस चोटी की नोक पर जहाँ तेज हवा के थपेड़े चलते हों? जीवन में जब दुख का पहाड़ गिरेगा तो क्या करोगे?

- वेबदुनिया/अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
ये भी पढ़ें
कुंडलिनी योग का चमत्कार