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Last Updated : शुक्रवार, 10 जुलाई 2015 (15:05 IST)

कहीं आपके बच्चे तो नहीं बन रहे हैं ज्यादा 'स्मार्ट'

कहीं आपके बच्चे तो नहीं बन रहे हैं ज्यादा 'स्मार्ट' - Smart Kids
अगर किसी भी पैरेंट्स से पूछा जाए कि उनके बच्चे सबसे किस चीज से खेलना पसंद करते हैं तो आमतौर पर जवाब होता है मोबाइल, अगर बच्चा सामान्य हो तो। एक्स्ट्राऑर्डनरी बच्चे सीधे नासा जाने की ही बात करेंगे। बच्चा थोड़ा बड़ा हो और स्कूल जाना शुरू कर दे तो कम्प्यूटर हो जाता है सबसे खास।

वीडियो गेम, गूगल अर्थ, गूगल मैप, गूगल चैट, वाट्सएप, यूट्यूब जैसी चीजों से घिरे और उन्हें अपनी दुनिया बना चुके बच्चे अपनी उम्र से बहुत अधिक समझदार नजर आते हैं। उनकी समझ और नॉलेज की दाद दिए बिना रहा नहीं जाता। 
 
आइए डालते हैं एक नजर कुछ ऐसे कारणों पर जिनकी वजह से आज के बच्चे आज से दस साल पहले के बच्चों से कहीं ज्यादा होशियार हैं। 
 
1. उनके पास सर्च इंजन मौजूद है : बच्चे जिस एक चीज के सबसे ज्यादा जाने जाते हैं वह है उनकी सवाल पूछकर चीजों को जानने की उत्सुकता। पहले माता-पिता, दादा-दादी या टीचर बच्चों के सवालों के जवाब के मुख्य स्त्रोत थे। जो कभी समय की कमी या कभी जानकारी की कमी के चलते अक्सर इन सवालों के जवाब नहीं दे पाते थे। परंतु अब बच्चों के पास है ऐसा जादुई जिन्न जिसके पास है हर सवाल का जवाब। जी हां, सही समझा आपने, आज बच्चों के पास सर्च इंजन है जिसके पास है उनके हर सवाल का जवाब। तो अब जवाब जानने के लिए बड़े होने का इंतजार नही करना पड़ता। 
2. चीजें हैं बेहतर रूप में :  आज के बच्चों को हर चीज बेहतर रूप में मिलती है। अब चीजें तीन गुना बेहतर तरीके से सीखी जा सकती हैं। अब से तीन  दशक पहले तक ही सिर्फ चीजों को किताबों के माध्यम से पढ़ा जा सकता था। सभी जानते हैं कि सुनी और देखी हुई चीज पढ़ाने के मुकाबले अधिक गहराई और बेहतर याद होती है। अब बच्चे किसी भी नई जानकारी को कम्प्यूटर पर सुन भी सकते हैं और देख भी सकते हैं।चाहे वह महाद्वीपों के नाम याद करना हो या अर्थशास्त्र की समस्या। 
अगले पन्ने पर, इन तरीकों से सीखा सकते हैं.... 
 
 

3. चीजें सीखना है फन :  आज चीजों को ऐसे तरीकों से सीखा जा सकता है जिनमें मजा आता है। ऐसे गेम्स उपल्ब्ध हैं जिनसे बच्चे चीजें सीख सकते हैं। इसके अलावा बच्चे आसान तरीकों से लर्निंग को फन एक्टिविटी में बदल लेते हैं। सोचिए कितना मजा आए अगर आपका बच्चा और अमेरिका उसका हमउम्र एक साथ किसी मैथ्स प्राब्लम को सॉल्व करने की कोशिश कर रहे हों और कॉम्पिटिशन भी। 
4. अनगिनत किताबें हैं मौजूद चौबीस घंटे :  एक दशक पहले तक ही बच्चे उन किताबों तक सीमित थे जो उनके पेरेंट्स उन्हें खरीदकर देते थे। इसके अलावा स्कूल की लायब्रेरी थी दूसरा जरिया किताबों से साथ के लिए। परंतु अब हजारों से भी ज्यादा ई-बुक्स हैं मौजूद। कुछ चार्ज देकर ऑनलाइन बुकस्टोर के मेम्बर बनकर यह खजाना हर दिन हर पल के लिए आपका हो जाता है। 
 
5. सभी बच्चों के पास है पर्सनल ट्यूटर :  पहले पचास बच्चों के लिए एक टीचर हुआ करता था परंतु अब हर बच्चे के लिए एक अलग ट्यूटर है। इस ट्यूटर की क्षमता और नॉलेज जबरदस्त है क्योंकि यह इंसान नहीं है। ऑनलाइन ऐसी चीजें मौजूद है जिनसे बच्चा चाहे जब जरूरी चीजें सीख सकता है। इसके अलावा, ऑनलाइन एक ही चीज को कई अलग तरीकों से समझाया जाता है  जिनमें से बच्चा अपनी पसंद के तरीके को चुन सकता है। 
 
6. भाषा मुश्किल नहीं बनती :  भाषा सीखने के लिए तरह तरह के एप मौजूद हैं। ऑनलाइन ऐसे कई तरीके हैं जिनसे बच्चे मनचाही भाषा सीख सकते हैं। आज के बच्चे पेरिस में बैठे बच्चे के साथ मिलकर फ्रेंच भाषा में मिला असाइंमेंट भी कर सकते हैं। वहीं अन्य भाषा सीखना भी अब बहुत आसान है। 
 
7. बच्चों की ग्रुप एक्टीविटी हैं ग्लोबल :  इंटरनेट ने दुनिया को छोटा कर दिया है। इसका असर आज के बच्चों पर साफ दिखता है। उनका ग्रुप अब न सिर्फ शहर बल्कि देश की सीमाओं से भी आगे जा चुका है। इसमें बच्चों की दोस्ती और प्रतिस्पर्धा ग्लोबल हो चुकी है। आपको बहुत खुशी होगी जब आपका बच्चा अमेरिका में बैठे बच्चे से आगे निकलने की कोशिश करेगा। इसके अलावा एक साथ काम करना भी बच्चे सीखते हैं जिनमें ऐसे बच्चों के साथ काम करना शामिल है जिनसे वे कभी मिले भी न हों। 
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8. अपने हैं करीब :  स्काइप जैसे वीडियों कॉलिंग के तरीके बच्चों को अपनो की कमी महसूस नहीं होने देते। अगर पेरेंट्स में से कोई या अन्य कोई रिश्तेदार या बच्चों के दोस्त कहीं बहुत दूर हो तो भी उन्हें देखना और उनसे बात करना बच्चों के लिए अब बहुत आसान है। 
9. सीख सकते हैं कभी भी कहीं भी :  गर्मियों की छुट्टी, विंटर वेकेशन और भी बहुत कुछ और सीखने की छुट्टी, बिल्कुल नहीं। वजह है इंटरनेट। हमेशा बच्चों के साथ रहने वाला इंटरनेट समय और जगह की मुश्किलों से निजात दिलाता है। दिन हो या रात, आपका घर या नानी का घर इंटरनेट पर सीखना है हमेशा संभव। 
 
इंटरनेट और टेक्नोलॉजी के आसपास होने से बच्चों में नॉलेज की कोई कमी नही है और हमें भी यह मानने में कोई संकोच नही है कि बच्चें निश्चित तौर पर बहुत होशियार हो गए हैं।