मंगलवार, 4 मार्च 2025
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Written By गायत्री शर्मा

रात और हादसा

संभल के रखना कदम

रात और हादसा -
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रात वो वक्त होता है जब हम पूरे दिन की थकान को मिटाने के लिए बिस्तर में आराम करते हैं और सुबह नए उत्साह, स्फूर्ति व ताजगी के साथ अपने दिन की शुरुआत करते हैं लेकिन कुछ लोगों के लिए रात मौज-मस्ती की शुरुआत होती है।

वर्तमान दौर के स्वच्छंद युवाओं के लिए रात एक बहाना होता है खुलकर जीने का।

जब सभी सोते हैं तब जवानी के जोश से परिपूर्ण युवा बिंदास सड़कों पर घूमते हैं और रात का पूरा-पूरा लुत्फ उठाते हैं। ‍सिगरेट, शराब, लेट नाईट पार्टी यह इन मनचलों के शौक में शामिल होते हैं।

  सर्तकता न रखने पर कई बार रात एक हादसा बन जाती है, जो युवाओं की ज़िंदगी में एक बदनुमा दाग लगा देती है। मौज-मस्ती करना कोई बुरी बात नहीं है परंतु अति हर चीज की बुरी होती है।       
देखते ही देखते इन आजाद मनमौजी युवाओं को इन सब चीजों की लत सी लग जाती है। घड़ी की सूइयों में 12 बजते ही युवा लड़के-लड़कियाँ निकल पड़ते हैं सड़कों पर मौज-मस्ती करने।

कई बार लेट नाईट पार्टीज में इन्हें समय का ख्याल ही नहीं रहता और जब ये जागते हैं तब बहुत देर हो जाती है।

महानगरों में शराब, जुआ, पार्टी यह सब कुछ एक आम बात सी बन गई है। कई धनाढ्य परिवारों में तो इसे 'स्टेटस सिंबल' भी माना जाता है। उनके अनुसार बच्चे यदि मौज-मस्ती नहीं करेंगे तो फिर कौन करेगा? जब माँ-बाप ही पार्टी में व्यस्त हैं तो भला बच्चे कैसे पीछे हटेंगे?

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* रात बन न जाए हादसा :-
सर्तकता न रखने पर कई बार रात एक हादसा बन जाती है, जो युवाओं की ज़िंदगी में एक बदनुमा दाग लगा देती है। मौज-मस्ती करना कोई बुरी बात नहीं है परंतु अति हर चीज की बुरी होती है।

महानगरों में आए दिन बलात्कार, छेड़खानी, हत्या, मारपीट आदि के कई मामले सामने आते हैं, जो आधी रात के इन्हीं रिश्तों की उपज होते हैं। युवा होने के यह मतलब नहीं है कि हम पूरी दुनिया पर राज करे।

इसका अर्थ तो यह होता है कि इस उम्र में हम अपने जीवन को एक सही दिशा दे, जो हमें एक बेहतर भविष्य प्रदान करें।

  जब सभी सोते हैं तब जवानी के जोश से परिपूर्ण युवा बिंदास सड़कों पर घूमते हैं और रात का पूरा-पूरा लुत्फ उठाते हैं। ‍सिगरेट, शराब, लेट नाईट पार्टी यह इन मनचलों के शौक में शामिल होते हैं।      
* रखे बच्चों पर निगरानी :-
बच्चों पर निगरानी रखने का मतलब यह नहीं होता है कि उन्हें कहीं भी अकेला न छोड़ा जाए। यदि आप ऐसा करते हैं तो बच्चे आप पर कभी विश्वास नहीं करेंगे तथा कभी खुलकर आपसे अपने मन की बात नहीं करेंगे।

बच्चों पर निगरानी रखने का अर्थ है उनके बारे में जानकारी रखना। माँ-बाप को यह पता होना चाहिए कि इस वक्त उनका बच्चा कहाँ व किसके साथ में है।

* कौन-कौन हैं उसके दोस्त :-
कहते हैं कि बुरी संगति का असर हम पर जल्दी पड़ता है। किसी को सुधारने में सालों लग जाते हैं, पर उसे बिगाड़ने में बस एक पल।

आपको यह पता होना चाहिए कि आपके बच्चे दिन भर किसके साथ रहते हैं और क्या करते हैं? अपने बच्चों के दोस्तों के फोन नंबर व घर के पते हमेशा अपने पास रखें ‍ताकि जरूरत पड़ने पर आप उनसे संपर्क कर सके।