शनिवार, 13 सितम्बर 2025
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Written By ND

डिलीट करें जीवन से निराशा को...

जीवन कम्प्यूटर
- कुसुम शर्म

ND
किसी भी समस्या का हल उससे पीठ मोड़ लेने में नहीं बल्कि उसका सामना हिम्मत के साथ करने में है। परेशानियाँ सभी के सामने आती हैं, लेकिन उनसे डरकर या घबराकर खुद को तनाव के अँधेरों से घेर लेना गलत है। याद रखें जीवनचर्या से उपजी परिस्थितियों के फलस्वरूप मिली मानसिक उथल-पुथल पर काबू पाकर आप हर मुश्किल को आसान बना सकते हैं। इसलिए निराशा में डूबने की बजाय आशा के साथ तैरकर किनारा ढूँढें।

आज का भौतिकवादी जीवन, व्यस्तताओं से भरा हुआ होने के कारण अत्यंत जटिल एवं तनावपूर्ण हो गया है। शायद ही कोई ऐसा किस्मत वाला होगा जो तनावग्रस्त जीवन व्यतीत न करता हो। बौद्धिक स्तर पर जागरूकता बढ़ने के कारण हमारा जीवन और विषम बन गया है, क्योंकिजो लोग जितना ज्यादा चिंतन करते हैं उन्हें समस्याएँ उतनी ही ज्यादा परेशान करती हैं।

रोजमर्रा के जीवन में थोड़ा-बहुत तनाव का होना स्वाभाविक प्रक्रिया है, परंतु निरंतर तनाव झेलते रहना एक ऐसी गंभीर मानसिक अवस्था है जो व्यक्ति को अंदर और बाहर दोनों ओर से तोड़कर रख देती है।
  किसी भी समस्या का हल उससे पीठ मोड़ लेने में नहीं बल्कि उसका सामना हिम्मत के साथ करने में है। परेशानियाँ सभी के सामने आती हैं, लेकिन उनसे डरकर या घबराकर खुद को तनाव के अँधेरों से घेर लेना गलत है।      


यह सत्य है कि मनुष्य के पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन में समस्याएँ अंतहीन होती हैं, बल्कि समस्याएँ घटने के बजाय बढ़ जाती हैं। साथ ही तनाव व दबाव व्यक्ति के शरीर को रोगी बना देता है, उसे खोखला करने में कोई कसर बाकी नहीं रखता। लंबे समय तक तनावग्रस्त या कुंठाग्रस्त जीवन व्यतीत करते हुए व्यक्ति मानसिक विकृति की स्थिति में आ सकता है और उस स्थिति में वह कोई गलत कदम भी उठा सकता है। अतः अपने आपको इस स्थिति से छुटकारा दिलाना अत्यंत आवश्यक है।

तनावों व हताशा से अपने आप को बचाने के सर्वोत्तम उपायों में से एक उपाय है नियमित डायरी लिखने की आदत। यह आपमें कुछ बदलाव ला सकती है तथा उससे आपका मन भी हल्का हो जाएगा। एकांत के क्षणों में बैठकर कम से कम एक बार ही सही स्वयं के बारे में चिंतन अवश्य करें। अपने जीवन में तनाव व निराशा के लिए आप स्वयं तो जिम्मेदार नहीं हैं। और यदि हैं तो उसे पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने संयमित व्यवहार, विनम्रता, सहनशीलता एवं मधुर वाणी के द्वारा काफी हद तक दूर कर सकते हैं। चिंता को दबाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

अतः इसकी चर्चा अपने विश्वसनीय मित्र अथवा विश्वासपात्र से अवश्य करें। इससे आप मन की कुंठा एवं घुटन से बच जाएँगे तथा दिमाग पर गहरा प्रभाव भी नहीं पड़ेगा। हाँ, अपने सुख-दुःख की अंतरंग बातें आप जिससे कहने जा रहे हैं वह इस योग्य है भी या नहीं, इसका निर्णय आत्मचिंतन के बाद ही करें तो बेहतर होगा, वरना तो अनजाने में कही गईं अंतरंग बातें तनावों को दूर करने के स्थान पर और तनाव उत्पन्न कर देंगी।

वास्तव में सुख-दुःख इंसान की अपनी सोच है। जिस चीज को जिस नजरिए से देखने की कोशिश करेगा उसे उसी रूप में सब कुछ दिखाई देगा, क्योंकि हर वस्तु के दो रूप होते हैं। अतः जो विचार मन को अच्छा न लगे उन्हें पास नहीं फटकने दें, नहीं तो मन और दुःखी होगा। जीवन सिर्फ इसलिए नहीं है कि उसे यूँ ही गँवा दिया जाए। कितनी ही विषम परिस्थितियाँ या कठिन समस्या व्यक्ति के सामने क्यों न हों उसका कोई न कोई हल अवश्य होता है। आवश्यकता है तो पूरे संयम व आत्मविश्वास की, जो व्यक्ति स्वयं उत्पन्ना कर सकता है।

निराशा, असफलता एवं हताशा को नकार कर थोड़ी सी व्यावहारिक सूझबूझ व वास्तविकता को स्वीकार करने की आदत से पीड़ा व हताशा में कमी लाकर अपने जीवन में खुशियाँ भरी जा सकती हैं। यदि आप कामकाजी महिला हैं तो भी और घरेलू हैं तो भी व्यर्थ की बातों कोमहत्व न देकर अपना समय व ध्यान उच्च रचनात्मक व मनोरंजक कार्यों की ओर लगाएँ जिसमें आपकी रुचि हो। इससे बोरियत एवं अकेलापन दोनों दूर होंगे और तनाव या अवसाद में घिरने की नौबत ही नहीं आएगी।

प्रत्येक व्यक्ति की अलग-अलग पहचान होती है। जीवन जीने का अलग ढंग होता है। सभी व्यक्ति समान विचार व एक जैसे तौर-तरीके वाले ही हों, यह किसी तरह संभव नहीं हो सकता है। अतः किसी से भी कोई उम्मीद न करके जीवन की सचाइयों एवं वास्तविकताओं को समझकर उनके अनुरूप व्यवहार रखें। इस विचार से निःसंदेह स्वयं को कुंठित होने से बचाया जा सकता है। तो अपने जीवन से सारे नकारात्मक विचारों को हटा दें।

विपरीत परिस्थितियों का सामना करें, क्योंकि इंसान को सफल एवं सुखी जीवन जीने के लिए निराशा एवं हताशा के भँवर में खो जाने की अपेक्षा उसमें से निकलने का मार्ग ढूँढना जरूरी होता है। अतः कठिन से कठिन समय में भी अपने आपको संतुष्ट एवं प्रसन्न दिखाने का प्रयास तो जरूर करना चाहिए, क्योंकि संभव है समय के साथ शनैः-शनैः यही प्रयास वास्तविकता में बदल जाए।