आत्मविश्लेषण करना है जरूरी
जिंदगी में कोई भी व्यक्ति जन्मजात महान या खास नहीं होता है। वह महान बनता है तो अपने कार्यों से, अपने सिद्धांतों से। हर व्यक्ति गलतियाँ करता है परंतु वह व्यक्ति जीवन की हर दौड़ में आगे निकल जाता है, जो स्वयं का आत्मविश्लेषण कर अपनी गलतियों को सुधारता है व उनकी पुनरावृत्ति नहीं करता है।हर सुबह उठकर हम अपने रोजमर्रा के काम में जुट जाते हैं और हर शाम हमेशा की तरह बिस्तर पर जाकर सो जाते हैं। आखिर इतने समय में हम अपने लिए कितना वक्त निकालते हैं? यदि आप स्वयं से यह सवाल करेंगे जो जवाब मिलेगा 'कुछ भी नहीं'। |
जिंदगी में कोई भी व्यक्ति जन्मजात महान या खास नहीं होता है। वह महान बनता है तो अपने कार्यों से, अपने सिद्धांतों से। हर व्यक्ति गलतियाँ करता है परंतु वह व्यक्ति जीवन की हर दौड़ में आगे निकल जाता है, जो स्वयं का आत्मविश्लेषण कर गलतियों को सुधारता है। |
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जरूरत है आत्मविश्लेषण की :- दूसरों की बुराई करना व उसकी खामियाँ निकालना हमारे लिए बहुत आसान होता है क्योंकि हमें निंदा करने में एक ऐसे रस की अनुभूति होती है, जिसमें घंटों कैसे बीत जाते हैं, पता ही नहीं चलता। क्या आपने कभी स्वयं का आत्मविश्लेषण किया है? यदि आप अपने भीतर टटोलेंगे तो आप पाएँगे कि आपमें भी कई सारी बुराईयाँ व खामियाँ है, जिन्हें जानने की कभी आपने कोशिश ही नहीं की है या फिर किसी के द्वारा बताए जाने पर उसे अनसुना कर दिया है। मिलती है नई राह :- आत्मविश्लेषण करने से आपको जहाँ अपनी कमियों का पता लगता है, वहीं उन्हें दूर करने का एक अच्छा मौका भी मिलता है। याद रखे हर व्यक्ति सभी गुणों से परिपूर्ण नहीं होता है परंतु गुणवान व चरित्रवान बनने की दिशा में प्रयास तो किया जा सकता है। आत्मविश्लेषण एक ऐसा आईना है, जो आपको स्वयं से परीचित कराने का एक बेहतर मौका देता है तथा साथ ही यह सीख भी देता है कि 'अब तो संभल जाओ व जिंदगी की राह में फूँक-फूँककर कदम रखो।'