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Last Updated : सोमवार, 11 जनवरी 2021 (14:26 IST)

Fact Check: क्या पंजाब में किसान आंदोलन के दौरान किया जा रहा हिंदी का विरोध? जानिए सच

Fact Check: क्या पंजाब में किसान आंदोलन के दौरान किया जा रहा हिंदी का विरोध? जानिए सच - viral post claims that agitating farmers blackened hindi signboards in punjab, fact check
नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। पोस्ट में कुछ फोटोज का एक कोलाज है। कोलाज में देखा जा सकता है कि कुछ लोग सड़क पर लगे साइनबोर्ड से ह‍िंदी में लिखे जगह के नाम पर कालिख पोत रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि ये लोग कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसान हैं।

क्या है वायरल-

कोलाज शेयर करते हुए एक फेसबुक यूजर ने लिखा है- ‘असली चेहरा अब सामने आ रहा है। टावर तोड़ने के बाद अब पंजाब में हिंदी नही चलेगी।’



ट्विटर पर भी इस तरह के दावे किए जा रहे हैं।

क्या है सच-

इंटरनेट पर ‘signboards blackened in Punjab’ कीवर्ड्स से सर्च करने पर हमें इंडिया टीवी की एक वीडियो न्यूज मिली। 25 अक्‍टूबर 2017 को अपलोड की गई इस वीडियो में बताया गया कि पंजाब में कुछ लोगों ने ह‍िंदी का अपमान किया। पंजाबी साइनबोर्ड की मांग करते हुए रेडिकल स‍िखों के समूह ने साइनबोर्ड पर हिंदी और अंग्रेजी में लिखे जगह के नामों पर कालिख पोती। वीडियो में हमें वही तस्‍वीरें मिलीं, जो अब किसानों के नाम पर वायरल हो रही हैं।



पड़ताल के दौरान हमें टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक खबर मिली। 22 अक्‍टूबर 2017 को पब्लिश इस खबर में बताया गया कि भटिंडा में गुस्‍साए स‍िख संगठनों ने हाईवे पर लगे साइनबोर्ड से हिंदी और अंग्रेजी में लिखे नाम म‍िटा द‍िए।

वेबदुनिया की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फेक साबित हुई। 2017 की तस्‍वीरों को किसान आंदोलन से जोड़कर शेयर किया जा रहा है।