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Written By एन. पांडेय
Last Modified: शनिवार, 22 जनवरी 2022 (14:48 IST)

रोचक है इन 4 सीटों का इतिहास, यहां जीतने वाले दल की बनेगी उत्तराखंड में सरकार

रोचक है इन 4 सीटों का इतिहास, यहां जीतने वाले दल की बनेगी उत्तराखंड में सरकार - 4 seats will decide who will make government in uttarakhand
उत्तराखंड राज्य में 4 विधानसभा सीटों के साथ यह मिथक जुड़ा है कि जिस दल का प्रत्याशी इन विधानसभा सीटों से चुनाव जीतता है। राज्य में उसी पार्टी की सरकार बन जाती है। इनमें गंगोत्री, बद्रीनाथ, श्रीनगर व देवप्रयाग सीटों का नाम शामिल है। अब इसे महज संयोग कहें या विधि का विधान, लेकिन सियासत से जुड़ा रोचक तथ्य जरूर है।
 
गढवाल मंडल की उन विधानसभा सीटों में सबसे पहला नाम उत्तरकाशी जनपद के गंगोत्री विधानसभा सीट का है। इस विधानसभा से पिछले 6 दशकों से यह मिथक जुड़ा हुआ है। यूपी से अलग होने से पहले भी जिस भी दल का प्रत्याशी इस विधानसभा सीट से चुनकर विधायक बनता था उसी की सूबे में सरकार बनती थी। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी गंगोत्री विधानसभा, का यह मिथक कायम है।
 
उत्तराखंड बनने के बाद चमोली जनपद की बदरीनाथ विधानसभा सीट भी इसी तरह के मिथक से जुड़ गई। यहां से भी जिस भी दल का विधायक चुनाव जीतता है, उत्तराखंड में सरकार उसी दल की बनती है। पिछले चार चुनावों से यह सिलसिला कायम है। गढ़वाल मंडल के श्रीनगर विधानसभा सीट की भी यही कहानी है। विधानसभा चुनाव में इस सीट से किस दल का प्रत्याशी चुना गया उसकी सरकार बनी।
 
गढ़वाल मंडल की ही एक और सीट देवप्रयाग से भी इसी तरह का मिथक जुडा है। यहां से भी जिस किसी दल का विधायक बनता है, उसकी उत्तराखंड में सरकार बनती है। उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल मंडल की 4 विधानसभा सीट इस मिथक को कायम किए है। विधानसभा चुनाव में इन चारों सीटों से जुड़ा मिथक बदस्तूर जारी है।
 
उत्तराखंड बनने के बाद हुए पिछले चार चुनावों की बात करें तो गंगोत्री विधानसभा सीट से वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विजय पाल सजवाण जीते और कांग्रेस की सरकार बनी। वर्ष 2007 में गोपाल रावत भाजपा के चुनाव जीते और भाजपा की सरकार बनी। वर्ष 2012 में विजयपाल सजवाण कांग्रेस के विधायक बने, कांग्रेस की सरकार बनी। इसी तरह 2017 में भाजपा के गोपाल रावत विधायक बने, इसके बाद भाजपा सरकार बनाने में सफल रही।
 
इसी तरह राज्य में हुए पहले विधानसभा चुनाव में बद्रीनाथ विधानसभा से अनुसूया प्रसाद मैखुरी कांग्रेस पार्टी से विधायक चुने गए। तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी। 2007 में भाजपा के केदार सिंह फोनिया विधायक बने और भाजपा की सत्ता आई। 2012 में कांग्रेस के राजेंद्र भंडारी  टिकट पर चुनाव जीते और इसी दल की सरकार गठित हुई। 2017 में महेंद्र भट्ट विधायक बने, भाजपा को सत्ता मिली।
श्रीनगर विधानसभा से भी यही भी यही मिथक जुडा रहा।
 
श्रीनगर विधानसभा सीट से 2002 में कांग्रेस के सुंदर लाल मंद्रवाल विधायक बने। कांग्रेस ही सत्ता में आई। 2007 में भाजपा के बृजमोहन कोटवाल विधायक बने और भाजपा सत्ता में आई। इसके बाद तीसरे विधानसभा चुनाव में गणेश गोदियाल श्रीनगर विधानसभा से विधायक बने और कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई। चौथे विधानसभा चुनाव में भाजपा के धन सिंह रावत विधायक बनने के साथ ही भाजपा उत्तराखंड में सत्ता पर काबिज हुई।
 
देवप्रयाग विधानसभा में भी पिछले 4 विधानसभा चुनाव से यही मिथक कायम है। जो जीता उसकी या उसके गठबंधन की सरकार। पहले विधानसभा चुनाव में यहां से मंत्री प्रसाद नैथानी विधायक बने। दूसरे विधानसभा चुनाव में इस सीट से यूकेडी के दीवाकर भट्ट उत्तराखंड क्रांति दल के विधायक बने और भाजपा का समर्थन कर सरकार में मंत्री बने। तीसरी विधानसभा चुनाव में मंत्री प्रसाद नैथानी निर्दलीय विधायक चुने गए, लेकिन कांग्रेस सरकार को समर्थन के बाद सरकार का हिस्सा बने। चौथे विधानसभा चुनाव में विनोद कंडारी भाजपा के टिकट से विधायक बने। भाजपा सरकार में आई।
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