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Last Updated :अयोध्या, (उप्र) , रविवार, 12 जनवरी 2025 (00:18 IST)

नई प्रेरणा का केंद्रबिंदु बनने वाला है श्रीरामजन्मभूमि मंदिर : योगी आदित्यनाथ

नई प्रेरणा का केंद्रबिंदु बनने वाला है श्रीरामजन्मभूमि मंदिर : योगी आदित्यनाथ - Yogi Adityanath's statement regarding Shri Ram Janmabhoomi temple
Yogi Adityanath News : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि श्रीरामजन्मभूमि मंदिर सनातन धर्म के सभी स्थलों के लिए नई प्रेरणा का केंद्र बिंदु बनने वाला है। योगी आदित्यनाथ ने रामजन्मभूमि मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली सालगिरह पर आयोजित प्रतिष्ठा द्वादशी कार्यक्रम के उपरांत अंगद टीले में एक समारोह में रामलला के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी रहे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता अशोक सिंघल को भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
 
इस मौके पर योगी ने कहा, सत्य को अधिक दिनों तक धुंधला करके कोई नहीं रख सकता है। सत्य एक दिन उजागर होगा। देश-दुनिया सत्य के रूप में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर प्रभु रामलला के भव्य मंदिर देख रही है। उन्होंने कहा कि प्रभु राम के भव्य मंदिर का निर्माण दुनिया में दबी-कुचली सभ्यता व संस्कृति के लिए संदेश भी है कि लोकतांत्रिक, संविधान सम्मत तरीके से अधिकार लिए जा सकते हैं।
 
मुख्यमंत्री ने कहा, अयोध्या में राम जन्मभूमि के लिए हुए अनगिनत बलिदान व अग्निपरीक्षा के दौर से बार-बार गुजरने के बाद भी धैर्य न खोना इस अभियान का हिस्सा रहा है। विश्वास है कि हम सब इस पथ के अनुगामी बनेंगे। योगी ने कहा कि समाज बंटा था तो देवस्थान अपमानित हो रहे थे।
उन्होंने आगाह किया जाति व अन्य वादों के आधार पर विभाजित रहेंगे तो अपमानजनक स्थितियों का निरंतर सामना करना पड़ सकता है। एकता के सूत्र में बांधने के लिए राष्ट्रीय एकात्मता के साथ कार्य करने के संकल्प के साथ हम जुड़ेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय एकात्मता की कड़ी मजबूत होगी तो सनातन धर्म, देश और हम सब भी मजबूत होंगे, लेकिन देश विभाजित या कमजोर होगा और हम जातीयता, क्षेत्र-भाषाई आधार पर विभाजित होंगे तो इसका खामियाजा सबसे पहले धर्मस्थलों, बहन-बेटियों को भुगतना पड़ेगा। प्रतिष्ठा द्वादशी राष्ट्रीय एकात्मता को मजबूत करने का आह्वान कर रही है।
 
उन्होंने कहा कि हिंदू पंचांग के अनुसार रामजन्मभूमि पर प्रभु रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने प्रतिष्ठा-द्वादशी के रूप में तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 22 दिसंबर 1949, रामलला का अपनी जन्मभूमि पर प्रकटीकरण होना, इस पूरी लड़ाई की पृष्ठभूमि को आगे बढ़ाता हुआ आज इन स्थितियों में पहुंचा कि प्राण-प्रतिष्ठा के एक वर्ष के उपरांत आज मंगलगान के साथ अभिभूत होकर हम सभी गौरव की अनुभूति कर रहे हैं।
यहां जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार योगी ने कहा कि अनेक तिथियां आईं, जिस पर न्यायसंगत तरीके से मर्यादा के अनुसार धैर्य की अग्नि परीक्षा देते हुए हर भारतवासी गुजरा, लेकिन धैर्य सबका रहा कि प्रभु श्री रामलला विराजमान हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी शुरुआत नौ नवंबर 2019 को हुई, जब न्यायपालिका ने सर्वसम्मति से निर्णय सुनाया कि अयोध्या में जहां विवादित ढांचा था, वह राम जन्मभूमि है।
 
उन्होंने कहा कि पांच अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने प्रभु रामलला के भव्य राम मंदिर के लिए भूमि पूजन किया। 22 जनवरी 2024 (पौष शुक्ल द्वादशी) के दिन मोदी ने देशभर से आए हर तबके के नेतृत्व वर्ग की उपस्थिति व संतों के सानिध्य में 500 वर्षों का इंतजार समाप्त करते हुए रामलला को उनकी जन्मभूमि में प्रतिष्ठित कराने का कार्य किया।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा के उपरांत रोजाना औसतन डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु अयोध्या धाम आ रहे हैं। दस वर्ष पहले किसी ने अयोध्या के बारे में नहीं सोचा था कि इसे इसका अधिकार प्राप्त होना चाहिए। उन्होंने पूर्ववर्ती गैर भाजपा सरकारों के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि पहले अयोध्या को मुश्किल से तीन-चार घंटे बिजली मिलती थी। राम की पैड़ी में सरयू जी का जल सड़ता रहता था।
योगी ने कहा कि आज सरयू मैया के घाट अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं। राम की पैड़ी में अब सरयू जी का जल सड़ता नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या अब अयोध्या होने का अहसास कराती है। सूर्यवंश की राजधानी अयोध्या देश की पहली सोलर सिटी बन चुकी है। यह नए भारत का नया उत्तर प्रदेश है तो नए उत्तर प्रदेश की नई अयोध्या अपने तीर्थ होने के गौरव के साथ पूरे देश को अपने साथ जोड़ रही है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम उन अनगिनत रामभक्तों, कारसेवकों व पूज्य संतों के ऋणी हैं, जो संघर्ष के साथ अग्नि परीक्षा के दौर से गुजरते हुए भी अपने मार्ग से विचलित नहीं हुए। 1528 से छह दिसंबर 1992 तक हर 15-20 वर्ष के अंतराल में हिंदू समाज अपनी जन्मभूमि को वापस प्राप्त करने के लिए निरंतर कार्य और संघर्ष करता रहा।
उन्होंने कहा कि जिस भाषा में शासन तंत्र समझता रहा, उस भाषा में समझाने का कार्य करता रहा। हर किसी का एक ही धैर्य था कि राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए। गोरक्षपीठाधीश्वर योगी ने अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ और पितामह गुरु महंत दिग्विजय नाथ का स्मरण करते हुए कहा कि हमारी तीन-तीन पीढ़ी इस अभियान के साथ जुड़ी रही।
 
उन्होंने कहा कि पूज्य महंत दिग्विजयनाथ महाराज को मैं नहीं देख पाया, लेकिन पूज्य गुरुदेव से सुनता था। मुझे याद है कि 2014 में पूज्य गुरुदेव की अंतिम सांसें चल रही थीं। हॉस्पिटल में अशोक सिंघल जी से गुरुदेव की आखिरी बातचीत हुई। उस दौरान गुरु जी कई दिनों से बोल नहीं रहे थे। अशोक जी को एक घंटे तक देखते रहे, फिर कहा कि राम मंदिर बन जाएगा न, अशोक जी ने कहा कि आप स्वस्थ होइए। मंदिर जरूर बनेगा। इस आश्वस्ति के कुछ दिन बाद ही गुरुदेव ने अपने शरीर का त्याग किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गत चार वर्ष से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास मंदिर को भव्य स्वरूप देने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। मुख्यमंत्री ने लखनऊ रवाना होने से पहले संकट मोचन हनुमानगढ़ी के दरबार में भी हाजिरी लगाई। उन्होंने यहां विधिवत पूजा-अर्चना करते हुए प्रदेशवासियों के सुखमय जीवन की प्रार्थना की। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour