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Last Updated : गुरुवार, 19 नवंबर 2020 (11:52 IST)

मनरेगा कन्वर्जेंस में बजट का 40 फीसदी खर्च, काम सिर्फ 5 प्रतिशत ही हुआ

MNREGA | मनरेगा कन्वर्जेंस में बजट का 40 फीसदी खर्च, काम सिर्फ 5 प्रतिशत ही हुआ
हमीरपुर। उत्तरप्रदेश के हमीरपुर जिले में मनरेगा कन्वर्जेंस में वन विभाग ने बजट की 40 फीसदी धनराशि खर्च कर ली है, मगर 8 माह व्यतीत हो जाने के बावजूद लक्ष्य से 5 फीसदी काम हो पाया है। विभाग द्वारा प्रस्तावित 73 कार्यों में से 49 की तो शुरुआत ही नहीं हुई है।
 
जिला ग्राम्य विकास अभिकरण (डीआरडीए) के परियोजना निदेशक (पीडी) चित्रसेन सिंह ने बताया कि वन विभाग ने 73 कामों का प्रस्ताव दिया था और श्रमांश में 360.65 लाख और सामग्री में 65.51 लाख रुपए का बजट आवंटित किया गया था। इसके लिए शासन ने 1,96,729 मानव दिवस सृजन करने का लक्ष्य रखा था यानी इतने दिन काम बजट के अनुसार कराना है ताकि स्थानीय मजदूरों को लाभ मिल सके।
विभाग ने 24 कार्यों की शुरुआत की है जिसमें बंधी बांधना, चेकडैम बनाना, वृक्षों को लगाना आदि कई काम प्रस्ताव में शामिल किए गए हैं। पीडी ने बताया कि विभाग ने कई काम ऐसे काम शामिल किए हैं, जो पहले कराए जा चुके हैं। शासन के आदेश हैं कि सभी कामों की शुरुआत की जाए, मगर विभाग ने 49 कामों की शुरुआत ही नहीं की है जिससे मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है।
 
वनाधिकारी नरेंद्र सिंह का कहना है कि धीरे-धीरे कामों की शुरुआत की जा रही है। विभाग ने 80.25 लाख रुपए खर्च कर दिए हैं, मगर मानव दिवस यानी कामों की संख्या बहुत ही कम हुई है। इसी प्रकार विभाग को सामग्री में 65.51 लाख खर्च करना था, मगर इस मद में एक भी धेला नहीं खर्च किया गया है जिससे विभाग की कार्यप्रणाली में प्रश्नचिन्ह लगता जा रहा है।
 
विभाग ने दावा किया है कि अभी तक कुल मिलाकर 250 श्रमिकों को काम में लगाया गया है जबकि रोजाना एक हजार से अधिक श्रमिकों को काम में लग जाना चाहिए, मगर ऐसा नहीं हो रहा है जिससे मजदूर इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। श्रमिकों को काम न मिल पाने के कारण श्रमिक लगातार गैर प्रांतों को पलायन करते जा रहे हैं।
 
सीडीओ कमलेश कुमार वैश्य का कहना है कि इस मामले की समीक्षा की जाएगी और ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को काम देने के लिए वन विभाग को कहा जाएगा। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष निरंजन सिंह राजपूत का कहना है कि श्रमिक रोजाना विभाग के चक्कर लगाते रहते हैं, मगर कोई काम नहीं मिल पा रहा है जिससे लोग परेशान हैं। (वार्ता)
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