यूपी निकाय चुनाव में भाजपा ने क्यों खेला मुस्लिम कार्ड?
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा का ध्यान पसमांदा मुसलमानों पर
उत्तर प्रदेश में 3 करोड़ से ज्यादा पसमांदा मुसलमान
भारत की पूरी मुस्लिम आबादी में उनकी हिस्सेदारी 80 फीसदी
UP Nikay chunav 2023 : उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में भाजपा ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए 350 से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। इनमें नगर निगम में पार्षद के उम्मीदवार नगर पालिका नगर पंचायत में अध्यक्ष के उम्मीदवार और उसके अलावा वहां के सभासद के उम्मीदवार भी शामिल है। कहा जा रहा है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा का ध्यान अब पसमांदा मुसलमानों पर है। पार्टी पिछले कई दिनों से इन्हें अपने साथ जोड़ने का भरसक प्रयास कर रही है।
जनवरी 2023 में दिल्ली में हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से भाजपा ने एक तरह से मिशन 2024 का शंखनाद कर दिया है। इस बैठक में स्पष्ट हो गया था कि मिशन 2024 में पार्टी की नजर मुसलमानों के एक वर्ग के वोटबैंक पर टिकी हुई है। मिशन 2024 को लेकर भाजपा की नजर उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में मुस्लमानों के उस वोटबैंक पर है जिसे पसमांदा कहा जाता है।
दरअसल मुस्लिम वोटरों को साध कर भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने 50 फीसदी से उपर वोट शेयर प्राप्त करने के लक्ष्य की राह को आसान बनाना चाहती है। इसी चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने निकाय चुनाव में बड़ी संख्या में मुस्लिमों को टिकट दिए हैं।
देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी उत्तर प्रदेश में है और राज्य में पसमांदा मुस्लिमों की संख्या 3 करोड़ से अधिक है। पसमांदा समुदाय के लोगों का दावा है कि भारत की पूरी मुस्लिम आबादी में उनकी हिस्सेदारी 80 फीसदी है। इसमें अंसारी, कुरैशी, मंसूरी, सलमानी और सिद्दीकी समेत 41 जातियां शामिल हैं। पसमांदा से आशय पिछड़े मुसलमानों से है और भाजपा की नजर अब इसी वोट बैंक पर है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के बड़े अल्पसंख्यक चेहरे और पूर्व मंत्री मोहसिन रजा कहते है कि पसमांदा मुसलमान दलित और ओबीसी मुसलमान हैं,जिनमें मुस्लिम समुदाय का 75 से 80 प्रतिशत हिस्सा है। पार्टी पसमांदा समुदाय को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा उनके जीवन के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है।