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Last Modified: रविवार, 10 मार्च 2024 (21:15 IST)

लखनऊ में अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान पुलिस पर पथराव

लखनऊ में अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान पुलिस पर पथराव - Police pelted with stones during raze drive in Lucknow
लखनऊ। उत्तरप्रदेश के लखनऊ में एक इलाके में रविवार शाम अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान स्थानीय लोगों ने पुलिस और प्रशासन दल पर पथराव किया हालांकि घटना में कोई व्यक्ति या अधिकारी घायल नहीं हुआ। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले को लेकर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर निशाना साधा।
 
यादव ने 'एक्स' पर कहा कि ये है भाजपा की आवास विनाश योजना। लखनऊ के अकबरनगर के उजड़ते हुए परिवार कुछ कहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि परिवारवाले ही परिवारवालों का दर्द समझते हैं। नहीं चाहिए भाजपा।
 
लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया, "आज (रविवार) अकबर नगर में अतिक्रमण कर बनाई गई एक व्यावसायिक इमारत को ढहाने का काम किया जा रहा था। इसी बीच कुछ अफवाहों की वजह से स्थानीय लोगों ने पथराव कर दिया। हालांकि घटना में कोई घायल नहीं हुआ और हालात नियंत्रण में हैं।
 
लखनऊ के संयुक्त पुलिस आयुक्त उपेन्द्र कुमार अग्रवाल ने बताया कि अकबर नगर में रविवार शाम करीब पांच बजे एक खाली इमारत को तोड़ने की कार्रवाई की जा रही थी, जो अचानक गिर गई।
 
उन्होंने बताया कि इसी बीच अफवाह फैल गयी कि कुछ लोग मलबे में दब गये हैं, जिसके बाद लोगों ने पथराव कर दिया हालांकि लोगों को समझा-बुझाकर शांत करा दिया गया।
 
अधिकारी ने बताया कि अभी तक इस मामले में किसी पर मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।
 
इस बीच, लखनऊ मध्य क्षेत्र की पुलिस उपायुक्त रवीना त्यागी ने बताया कि ढहाई गयी इमारत के मलबे में कुछ लोगों के दबे होने की बात बिल्कुल गलत है। ऐसा कुछ भी नहीं है। हालात काबू मे हैं।
 
लखनऊ के अकबर नगर में रहने वाले लगभग 74 बीपीएल कार्ड धारकों ने उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें विकास प्राधिकरण के तोड़-फोड़ अभियान पर रोक लगाने की मांग की गयी थी।
 
अकबर नगर में कुकरैल नाले के किनारे कथित रूप से सरकारी जमीन पर झुग्गी बस्ती का निर्माण किया गया इसीलिए यह अभियान चलाया जा रहा है। इस बस्ती में करीब 1400 घर हैं।
 
एलडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि उच्च न्यायालय के निर्देशों के मुताबिक तोड़फोड़ की यह कार्यवाही मकानों के लिए नहीं बल्कि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर की जा रही है।
 
उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह एक आदेश में अकबर नगर में सरकारी जमीन पर निर्मित बस्ती के सभी निवासियों को 31 मार्च या उससे पहले विवादित परिसर खाली करने का आदेश दिया था। एजेंसियां
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