Hema Malini's message : सांसद, कलाकार, नृत्यांगना और निर्देशिका हेमा मालिनी (Hema Malini) ने मेरठ में कहा कि हम संसद चलाना चाहते हैं, हर मुद्दे पर बहस करना चाहते हैं लेकिन विपक्ष नहीं चाहता कि संसद चले। विपक्ष को चाहिए कि वह संसद चलने दे। मौका था मेरठ महोत्सव का जिसमें हेमा मालिनी ने स्वर्ग से गंगा (Ganga) को पृथ्वीलोक पर लाने की मनमोहक नृत्य प्रस्तुति देकर दर्शकों को अभिभूत कर दिया।
गंगा पृथ्वीलोक से वापस स्वर्ग लोक जाना चाहती है : विभिन्न मुद्राओं से उन्होंने बताया कि गंगा और यमुना का प्रदूषण कैसे खतरनाक है। निर्मल, स्वच्छ गंगा की जलधारा किस तरह वेदना सह रही, छटपटाती गंगा पृथ्वीलोक से वापस स्वर्ग लोक जाना चाहती है इसलिए सभी लोगों को कोशिश करनी चाहिए की गंगा अविरल निर्मल बहती रहे।
नृत्य मुद्राओं से गंगा अवतरण की प्रस्तुति : नृत्य मुद्राओं से गंगा अवतरण की प्रस्तुति में हेमा मालिनी ने 1857 की मेरठ क्रांति और अंग्रेजों के जड़े हिलाने के लिए मंगल पांडे का बिगुल बजाना और 1947 में आजाद भारत की ध्वज पताका फहराने के दृश्य भी शामिल किए गए।
लगभग 2 घंटे की नृत्य नाटिका में भगीरथ की धरती पर गंगा लाने की तपस्या, लक्ष्मी-विष्णु प्रसंग, ब्रह्माजी का गंगा को कमंडल में लाने का प्रयास और भगवान शिव द्वारा गंगा को अपनी जटाओं में समाहित करने का प्रसंग बेहतरीन नृत्य भंगिमाओं के साथ प्रस्तुत हुआ।
मैं गंगा अपराजिता हूं, पराजय तुम्हारी होगी : कार्यक्रम के समापन हेमा मालिनी की नृत्य मुद्राओं द्वारा संदेश दिया कि मैं गंगा अपराजिता हूं, पराजय तुम्हारी होगी। तुम कालबद्ध हो कल्कि अवतार के साथ जाना होगा, मैं सतयुग का स्वागत करूंगी। हेमा ने दर्शकों को अपने साथ जोड़ने के लिए यह भी पूछा कि गंगा अवतरण में उन्हें सबसे अच्छा क्या लगा और क्या होना चाहिए? वही यह संदेश भी दिया कि गंगा की स्वच्छता के लिए करोड़ों हाथ उठ चुके है।
मीडिया से रूबरू हुईं हेमा मालिनी : हेमा मालिनी ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि मेरठ से उनका कोई नाता नहीं रहा है, लेकिन 1857 की क्रांति धरा पर आकर बहुत अच्छा लग रहा है। मीडिया के प्रश्न कि 'बॉलीवुड पर दक्षिण का सिनेमा हावी नहीं है', का जबाव देते हुईं बोली कि जो भी बेहतर होगा, वह बिकेगा। दक्षिण भारत वाले अधिक मेहनत करते हैं, अच्छा कंटेंट दर्शकों को दिखा रहे हैं। बॉलीवुड को भी प्रयास करना चाहिए कि वह भी बेहतर सिनेमा दे।
अब मथुरा को कितना इंतजार करना होगा? : काशी और अयोध्या के बाद अब मथुरा को कितना इंतजार करना होगा? उन्होंने कहा कि मथुरा जिले के कण-कण में श्रीकृष्ण रचे-बसे हैं, मथुरा मंदिरों का नगर है। इस शहर के लिए सरकार भी समय के साथ कुछ करेंगी।
उन्होंने मीडिया से कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार बहुत कुछ कर रही है। महिलाएं राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं, संसद तक पहुंच गई हैं और अब जनता की बारी है। उन्होंने कहा कि हम संसद चलना चाहते हैं, हम संसद में हर मुद्दे पर बहस करना चाहते हैं लेकिन विपक्ष नहीं चाहता कि संसद चले इसलिए विपक्ष को चाहिए कि वह संसद चलने दे।
Edited by: Ravindra Gupta