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Last Updated :आगरा , शनिवार, 4 जनवरी 2025 (19:47 IST)

आगरा में मुगलकालीन धरोहर 'मुबारक मंजिल' का ध्वस्तीकरण! जांच के बाद होगी कर्रवाई

आगरा में मुगलकालीन धरोहर 'मुबारक मंजिल' का ध्वस्तीकरण! जांच के बाद होगी कर्रवाई - Case of Mughal heritage Mubarak Manzil in Agra
Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक इमारतों को संजोने के लिए सरकार कटिबद्ध नजर आ रही है, लेकिन ऐसे में कुछ मुनाफाखोर सरकार की मंशा पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं। आगरा जिले में ASI ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने का जतन कर रही है, कुछ इमारतों को पुरातत्व विभाग ने कब्जा मुक्त करवाते हुए संरक्षण भी किया है, लेकिन कुछ को बचाया नहीं जा सका है, जिसमें से एक है 'मुबारक मंजिल' यानी औरंगजेब की हवेली। मुबारक मंजिल की खूबसूरती सदा के लिए दफन करने का आरोप एक बिल्डर पर लगा है, माना जा रहा है कि इस मुगलकालीन धरोहर का 70% हिस्सा ध्वस्त करके मलबा भी निकाला जा चुका है।

औरंगजेब की हवेली के नाम से जानी जाने वाली मुबारक मंजिल का इतिहास 17वीं शताब्दी से जुड़ा है, जो मुग़लकालीन धरोहर के रूप में पहचान रखती थी। राजा जयसिंह के नक्शे में इस हवेली को 35 नंबर पर अंकित किया गया और यह मुगलिया रिवरफ्रंट गार्डन का महत्वपूर्ण हिस्सा भी रही है।
वहीं ऑस्ट्रियाई इतिहासकार एब्बा कोच की पुस्तक 'द कंलीट ताजमहल एंड द रिवरफ्रंट गार्डन्स ऑफ आगरा' में भी इसका जिक्र है। माना जाता है कि मुबारक मंजिल का निर्माण उस समय हुआ था जब औरंगजेब ने सामोगढ़ (सममूगढ़) की लड़ाई में विजय प्राप्त की और उसके बाद मुबारक मंजिल का निर्माण कराया था।

मुबारक हवेली को औरंगजेब, शाहजहां, शुजा के बाद ब्रिटिश शासन में नमक दफ्तर, कस्टम हाउस और माल डिपो के रूप में होने लगा था। 1817 तक आते-आते इसमें कई बदलाव परिवर्तन हुए, एक मंजिला इमारत को दो मंजिल में तब्दील कर दिया गया। 1868 के नक्शे में इस मुबारक मंजिल को पोंटून पुल के पास दृश्या गया है। 1902 तक मुबारक मंजिल को तारा निवास के नाम से जाना जाता था।
वर्तमान में इस हवेली का स्वामित्व स्व. उमेश खंडेलवाल के बेटे अमित खंडेलवाल पर बताया जा रहा है, उसने गुपचुप तरीके से यह भूमि बिल्डर विकास जैन को बेच दी थी। तीन महीने पहले भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस मुबारक मंजिल का संज्ञान लिया था और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 30 सितंबर 2024 को इस ऐतिहासिक धरोहर औरंगजेब हवेली/मुबारक मंजिल को संरक्षित करने के लिए अधिसूचना भी जारी करते हुए 30 अक्टूबर 2024 तक आपत्तियां मांगी थीं।

राज्य पुरातत्व विभाग अपने अंतिम चरण की कार्यवाही करता, अंतिम अधिसूचना जारी करता उससे पहले ही इसका ध्वस्तीकरण शुरू हो गया और तोड़ने का आरोप बिल्डर विकास जैन पर लगा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मुबारक मंजिल का अब तक 70% ध्वस्तीकरण हो चुका है।

औरंगजेब की हवेली (मुबारक मंजिल) 0.634 हैक्टेयर में निर्मित है, जिसका गाटा संख्या पश्चिम में 1775, उत्तर में सड़क, दक्षिण में गाटा संख्या 1723 भाग और पूर्व में यमुना नदी है अभिलेखों में दर्ज है। राज्य पुरातत्व विभाग की टीम ने अंतिम अधिसूचना जारी करने और आपत्ति मांगने की तिथि निकल जाने के बाद मुबारक मंजिल का दौरा किया तो हैरान रह गई।
धरोहर संरक्षण की अधिसूचना जारी हो जाने के बाद मुबारक मंजिल के 1500 गज के हिस्से पर तोड़फोड़ का काम चल रहा था। हालांकि एएसआई ने किसी भी तरह की गतिविधि या तोड़फोड़ पर वहां रोक लगा दी थी, उसके बावजूद उसे ध्वस्त किया जा रहा था।

इस पूरे प्रकरण पर जिला प्रशासन ने मीडिया के कैमरे पर चुप्पी साध ली है, आगरा डीएम जांच की बात कह रहे हैं, साथ ही भूमि पर अपना हक जताने वालों के दस्तावेजों की भी जांच होगी। वहीं पुरातत्व विभाग के मुताबिक, मुगलकालीन धरोहर को तोड़ा नहीं जा सकता, जिसने भी धरोहर को नष्ट करने का प्रयास किया है, उस पर जांच के बाद एक्शन होगा।