वो उनका टूटजाना और बिखरना ये सदमें हैं जो अक्सर झेलता हूँ सदी में एक चौथाई है बाक़ी----------- खिलौनों से मैं अब भी खेलता हूँ
कमतरी बरतरी* की बात न कर--------छोटा-बड़ा ये छलावे हैं इनको दूर भगा खुल के जीने की है अगर ख़्वाहिश अपने एहसासे-ज़िन्दगी को जगा
एहतियाते-नज़र भी देता जा क़ुव्वते-बाल-ओ-पर*भी देता जा-------हाथ-पाँव में ताक़त सिर्फ़ हुक्मे-सफ़र न दे मुझको कुछ तो रख़्ते-सफ़र*भी देता जा-------सफ़र में काम आने वाला सामान
कुछ करम में, कुछ सितम में, बाँट दी कुछ सवाले-बेश-ओ-कम* में बाँट दी------कम-ज़्यादा के प्रश्न ज़िन्दगी जो आप ही थी क़िबला-गाह*-----पवित्र स्थान हमने वो देर-ओ-हरम*में बांट दी-------मन्दिर-मस्जिद
है हक़ीक़्त फिर भी अफ़साना सही होश में ह फिर भी दीवाना सही यूँ तो दिल है बारगाहे-कायनात*--------दुनिया का महल आप कहते हैं तो वीराना सही
दिले-नादाँ* बनाता रहता है---------नासमझ दिल रोज़े-फ़रदा की इस तरह तस्वीर----आने वाले कल का चित्र जैसे कोई किसी से पूछता हो अपने नादीदा* ख़्वाब की ताबीर**--------वो सपना जो देखा नहीं, **परिणाम, हक़ीक़त
नूर*की जैसे इक किरन पाकर------*रोशनी आईना वक़्फ़े-नूर* होता है--------रोशनी ही रोशनी ऎन ओजे-ख़ुदी*में ऎसे ही--------इश्क़ की ऊंचाई बेख़ुदी का ज़हूर*होता है---------दीवानगी का प्रदर्शन
बुलंदी ख़ुद क़दम चूमेगी तेरे ख़बर ले आप अपने बाल-ओ-पर*की-------हाथ-पाँव अगर तेरा सफ़र तेरा सफ़र है ज़रूरत क्या तुझे फिर हमसफ़र*की------साथी
इस करम*की नज़र को क्या कहिए------मेहरबानी साज़िशे-फ़ितनागर*को क्या कहिए------दुश्मनों का षड़यंत्र उसने रसमन किया है अहदे-वफ़ा-----प्यार करने का इक़रार वादाए-मुख़्तसर*को क्या कहिए------छोटा वादा, झूटा वादा