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Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 17 जून 2025 (18:28 IST)

स्टडी : नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं को अस्थमा का खतरा ज्यादा, जानिए 5 कारण

Night Shift Jobs Harmful For Women
side effects of night shift for female: आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में काम कर रही हैं, ऑफिस, हॉस्पिटल, कॉल सेंटर, फैक्ट्री, मीडिया, और IT सेक्टर में दिन-रात मेहनत कर रही हैं। इनमें से कई महिलाएं रात की शिफ्ट (Night Shift) में भी काम करती हैं। लेकिन हाल ही में हुई एक रिसर्च से पता चला है कि रात की शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं को अस्थमा (Asthma) का खतरा ज्यादा होता है। यूनाइटेड किंगडम की एक बड़ी हेल्थ स्टडी UK Biobank के मुताबिक, जो महिलाएं रात में काम करती हैं, उनमें मध्यम से गंभीर अस्थमा का खतरा 50% तक बढ़ जाता है। यह अध्ययन इस बात की ओर इशारा करता है कि समय रहते सजग होना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं ऐसे कौन से 5 कारण हैं जिनकी वजह से नाइट शिफ्ट करने वाली महिलाओं में अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है।
 
बॉडी क्लॉक का बिगड़ना 
हमारे शरीर का एक प्राकृतिक टाइम टेबल होता है, जिसे “सर्केडियन रिद्म” कहा जाता है। यह हमें बताता है कि कब सोना है, कब उठना है, कब खाना है। जब कोई महिला रात को काम करती है तो यह बॉडी क्लॉक पूरी तरह से उलट-पलट हो जाती है। इसका असर सीधे फेफड़ों की सेहत और इम्यून सिस्टम पर पड़ता है, जिससे अस्थमा होने की संभावना बढ़ जाती है।
 
नींद की कमी और थकान
रात में काम करने के बाद दिन में पूरी नींद नहीं हो पाती। न तो गहरी नींद आती है और न ही शरीर को पूरा आराम मिलता है। नींद की यह कमी शरीर में सूजन (inflammation) को बढ़ाती है, जिससे अस्थमा जैसी सांस की बीमारियां पनपने लगती हैं। नींद की खराब क्वालिटी अस्थमा को और भी गंभीर बना सकती है।
 
हार्मोनल बदलाव और इम्यूनिटी पर असर
महिलाओं के शरीर में हार्मोन बदलाव की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। जब नाइट शिफ्ट के कारण नींद और खान-पान बिगड़ता है, तो इससे हार्मोन असंतुलन होता है। इस हार्मोनल गड़बड़ी का असर फेफड़ों पर भी पड़ता है और इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। खासकर जिन महिलाओं की उम्र 40 से ऊपर है या जो मेनोपॉज के दौर में हैं, उन्हें अधिक खतरा होता है।
 
तनाव और मानसिक दबाव
रात में काम करने के साथ-साथ परिवार, बच्चों और घर की जिम्मेदारी निभाना आसान नहीं होता। इससे मानसिक तनाव बढ़ता है। यह तनाव धीरे-धीरे शरीर पर असर करता है और फेफड़ों में सूजन पैदा करता है। मेडिकल साइंस के अनुसार, मानसिक तनाव और चिंता का सीधा संबंध अस्थमा और अन्य सांस संबंधी बीमारियों से होता है।
 
नियमित हेल्थ चेकअप की कमी
नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाएं अपनी सेहत को लेकर अक्सर लापरवाह हो जाती हैं। थकान के कारण नियमित चेकअप नहीं हो पाता और शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देती हैं। इससे अस्थमा जैसी बीमारी समय रहते पकड़ में नहीं आती और स्थिति गंभीर हो सकती है। 


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