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Last Updated : गुरुवार, 10 मार्च 2022 (23:39 IST)

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव : भाजपा की प्रचंड जीत के पीछे खड़ी 'शक्ति'

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव : भाजपा की प्रचंड जीत के पीछे खड़ी 'शक्ति' - Power behind BJP's victory in Uttar Pradesh assembly elections
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणामों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि मोदी जैसी करिश्माई शख्सियत के सामने न केवल समूचा विपक्ष बौना है, बल्कि जीवन से जुड़े मुद्दे भी आम आदमी के लिए कोई मायने नहीं रखते या यूं कह सकते हैं कि विपक्ष इस तरह से नाचा जिस तरह से भाजपा के सिरमौर चाहते थे।

आखिर क्या चमत्कार हुआ जिसमें महंगाई और कोरोना काल में उभरे मुद्दे नेपथ्य में चले गए। ऐतिहासिक रूप से लंबा चला किसान आंदोलन व्यक्ति या जाति को किसान के रूप में नहीं बदल पाया। पर मंडल और कमंडल हाशिए पर जाते दिखाई दिए और एक नई शक्ति अवतरित होकर आकार लेती दिखाई दी।

भाजपा की ऐतिहासिक जीत के पीछे ऐसा कोई राज नहीं जो छिपा हुआ हो बल्कि सब खुला सच है। भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी की छवि को एक कठोर प्रशासक के रूप में इस तरह से प्रस्तुत किया कि उनके न रहने पर प्रदेश की आम जनता फिर से असुरक्षित हो जाएगी।

एक के बाद एक ऐसे कदम योगी ने उठाए जिससे बहुसंख्यक आबादी में यह संदेश गया कि वे अल्पसंख्यकों द्वारा किए गए अपराध को ही नहीं बल्कि किसी भी अपराधी को कुचलने में विश्वास रखते हैं। अपराधियों के प्रतिष्ठानों या ठिकानों पर चला उनका बुलडोजर एक प्रतीक बन गया जिसमें आम आदमी को अपनी सुरक्षा पुख्ता होती नजर आई।

महिलाओं में एक संदेश गया कि पूर्व की तुलना में सड़कें अब उनके लिए सुरक्षित हैं। बेटियां मनचलों के आतंक से काफी हद तक महफूज हैं। खासतौर पर लव जिहाद और एंटी रोमियो ऑपरेशन ने स्कूल-कॉलेज जाने वाली बेटियों और उनके अभिभावकों को एक भरोसा दिलाया कि भविष्य योगी जैसे सख्त प्रशासक के हाथों में ही सुरक्षित है।

ऐसा नहीं कहा जा सकता कि अपराध थम गए लेकिन यह सत्य है कि अपराधियों का नंगा नाच थम गया। इसके साथ ही भाजपा के मजबूत संगठन और प्रचार तंत्र ने समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों द्वारा किए जाने वाले अपराध, निरंकुशता और राजनीतिक संरक्षण को जबरदस्त तरीके से उकेरा।

यही वजह है कि चुनाव में महिलाओं ने इस मुद्दे पर जमकर मतदान किया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हर धर्म की महिलाओं का एक वर्ग उभरा, जिसकी पसंद कमल का फूल बन गया। हालांकि चुनौतियां भाजपा के सामने बहुत थीं, जिनमें से महंगाई ऐसा मुद्दा था जिससे सभी प्रभावित थे लेकिन सुरक्षा के मुद्दे और मोदी पर भरोसे ने महंगाई को हाशिए पर डाल दिया।

बेरोजगारी और महंगाई पर महिलाएं मुखर होकर तो बोलती दिखती थीं लेकिन वोट देने के नाम पर डबल इंजन की सरकार ही उसे अन्य मौजूद विकल्पों में बेहतर नजर आती थीं और स्पष्ट कह देती थीं कि वोट तो मोदी को ही देंगे। यह मोदी की शख्सियत या करिश्माई व्यक्तित्व का अथवा ब्रांडिंग का ही असर था कि उन्हें मोदी के अलावा कुछ दिखता ही नहीं था।

यही हाल गरीबी की रेखा के इर्दगिर्द गुजर-बसर करने वाले परिवारों की महिलाओं का दिखाई देता था। मुफ्त मिलने वाला राशन, नकदी इत्यादि ऐसी ट्रंप साबित हुईं कि महिलाएं कहती मिलतीं कि मुसीबत में जिसने भूखा नहीं मरने दिया तो वोट भी उसी का है। इनमें ऐसी महिलाएं भी बहुतायत में थीं जिन्हें यह भी नहीं मालूम था कि प्रत्याशी कौन है! उन्हें मालूम था मोदी और कमल का निशान।

इस तरह महिलाओं का एक ऐसा वर्ग इन चुनावों में जन्मा जिसका धर्म और जाति महिला थी और उन्होंने खुलकर मतदान किया जिसने कमल खिला दिया। कालांतर में यह वर्ग यदि आकार लेता है तब मंडल और कमंडल की राजनीति काल कवलित हो सकती है।
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