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Last Updated : बुधवार, 2 फ़रवरी 2022 (19:58 IST)

यूपी विधानसभा चुनाव में हार के डर से अपनों को मनाने में जुटे प्रत्याशी

यूपी विधानसभा चुनाव में हार के डर से अपनों को मनाने में जुटे प्रत्याशी - Fearing defeat in the UP assembly elections, candidates trying to persuade their loved ones
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पहले, दूसरे व तीसरे चरण के विधानसभा चुनाव 2022 की नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और 10 फरवरी को पहला, 14 फरवरी को दूसरा व 20 फरवरी को तीसरे चरण का मतदान होना है।जिसके चलते सभी राजनीतिक दल तेजी के साथ चुनाव-प्रचार प्रसार में जुट गए हैं, लेकिन इस दौरान सभी दलों को घर के अंदर टिकट न मिलने से नाराज कार्यकर्ता व पदाधिकारी की एक चिंता भी सता रही है।

जिसको लेकर सभी दल प्रचार-प्रसार के साथ-साथ दलों के नाराज अपने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को मनाने में भी जुट गए हैं।लेकिन नाराज कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की नाराजगी को समाप्त करने में राजनीतिक दल कामयाब नहीं हो पाए।ऐसी स्थिति में मतदान के दिनों में प्रत्याशियों को उनकी नाराजगी का सामना करना पड़ेगा।

कई दावेदार हैं नाराज : अपनी-अपनी विधानसभाओं से कई कार्यकर्ता व वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पार्टी से टिकट की मांग की थी लेकिन टिकट न मिलने से नाराज कई दावेदारों ने अब अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों को हराने की कवायद शुरू कर दी है।

जिसके चलते सभी दलों के पदाधिकारी व प्रत्याशी अपनों को मनाने में जुटे हैं और लगातार उनके पास जाकर बैठक भी कर रहे हैं।इसके साथ संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी ऐसे नेताओं को कार्यालय बुलाकर मनाने का प्रयास कर रहे हैं।

लेकिन अभी तक किसी भी दल के हाथ सफलता नहीं लगी है और नाराज दावेदार अभी भी गुप्त तरीके से अपने ही दल के प्रत्याशी के खिलाफ मोर्चा खोले हैं और चारों विधानसभा क्षेत्रों में अपने ही दल के प्रत्याशियों को हराने के प्रयास में जुट गए हैं।

नाराज नेताओं पर है नजर : सभी दलों ने नाराज नेताओं की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया है, जिसके लिए दलों ने बकायदा भरोसेमंद कार्यकर्ताओं की टीम भी गठित की है। बताया जा रहा है कि नाराज नेताओं की हर एक गतिविधि की जानकारी समय रहते संगठन तक ये वफादार कार्यकर्ता देने में लगे हुए हैं।

सभी दलों को इन नाराज नेताओं की नाराजगी बेहद खटक रही है और कहा जा रहा है कि नाराज नेताओं की अगर नाराजगी दूर नहीं हुई तो इसका नुकसान दलों को उठाना पड़ सकता है।
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