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Written By Author अवनीश कुमार

गृह जनपद में संघर्ष करते अखिलेश!

गृह जनपद में संघर्ष करते अखिलेश! - Uttar Pradesh assembly election 2017, Akhilesh Yadav
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का इस समय जनसभा का दौर जोरशोर से जारी है और वह हर कीमत पर समाजवादी पार्टी को एक बार फिर सत्ता के शीर्ष तक ले जाने में जुटे हैं तो वही किसी न किसी प्रकार से उन्हीं के अपने उन पर सवाल खड़े करते दिखाई और सुनाई देते हैं जिससे एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि खुद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को बाहरियों से कम लेकिन अपनों से ज्यादा इस चुनाव में लड़ते नजर आएंगे क्योंकि कोई भी ऐसा मौका उनके अपने नहीं छोड़ रहे हैं जिस मौके पर वे अखिलेश यादव को आड़े हाथों ना ले रहे हों। 
 
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में भले ही अखिलेश जीत का परचम आराम से लहरा लें लेकिन उन्हें अपने गृह जनपद इटावा में अपनों से ही चुनावी युद्ध में जीतना है क्योंकि अखिलेश यादव को अपने गृह जनपद पर विरोधियों से कम पर अपनों से ज्यादा खतरा है अगर हम समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बयानों पर नजर डालें तो वह पहले ही अपने बयान के जरिए अखिलेश के खिलाफ खड़े होते नजर आए हैं और उन्होंने अखिलेश के कांग्रेस से गठबंधन के फैसले के खिलाफ उन सभी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि जहां-जहां अखिलेश के गठबंधन के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं, उनके खिलाफ खड़े हो जाओ तो दूसरी तरफ अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव भी कोई मौका अखिलेश को गिरने का नहीं छोड़ रहे हैं। 
 
मंगलवार इटावा पहुंचे शिवपाल सिंह यादव ने लोकदल से चुनाव लड़ने की बात को गलत बताते हुए मुस्कराकर कहा कि अखिलेशजी की कृपा हो गई सिंबल मिल गया है तो साइकिल से ही चुनाव लड़ने जा रहा हूं और वे यहीं नहीं रुके उन्होंने तो इशारों-इशारों में मार्च के बाद कुछ नया करने का यानी दूसरी पार्टी बनाने का भी ऐलान कर डाला है। अब ऐसे में आप अन्य जिले की तो बात रहने ही दीजिए खुद समाजवादी पार्टी अपने गृह जनपद में बंटी-बंटी नजर आ रही है। 
 
गौर करने वाली बात यह है कि समाजवादी पार्टी में सत्ता परिवर्तन के बाद जितने भी कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ी, वह किसी अन्य दल में अभी तक नहीं गए हैं, वे सभी मुलायम और शिवपाल के साथ खड़े हैं। उनका कहना है कि वे नेताजी के दर्द और बेबसी से आहत हैं। समाजवादी विचारधारा उनके खून में है और वे नए पार्टी नेतृत्व की इस बात से सहमत नहीं हैं कि पुराने नेताओं को दरकिनार कर दिया जाए। उनका यहां तक कहना है कि वे मरते दम तक मुलायमवादी रहेंगे। अब ऐसे में अगर अखिलेश के गृह जनपद इटावा पर एक नजर डालें तो एक बात तो साफ होती है कि इटावा में मुलायम सिंह यादव व शिवपाल सिंह यादव का अपना एक वर्चस्व है। 
 
इटावा जिले के अंदर मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव के नाम पर जो कार्यकर्ता जुड़े हैं, वह अभी भी इन लोगों के साथ खड़े हैं, ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि खुद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपने गृह जनपद में पार्टी को जीत दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा और अगर इस संघर्ष में अखिलेश जरा सा भी कमजोर पढ़ते हैं तो एक बात तो साफ है कि गृह जनपद मैं अखिलेश यादव को नुकसान उठाना पड़ सकता है। 
 
ऐसे में तो आने वाला समय ही बताएगा कि किस रणनीति के तहत अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के अस्तित्व को अपने गृह जनपद में जिंदा रख पाते हैं, क्योंकि उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती खुद उनके पिता मुलायम सिंह यादव व उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव बने हुए हैं।