उत्तरप्रदेश में 17वीं विधानसभा के अंतिम चरण के चुनाव पर नजर डालें तो ये चरण बाहुबलियों बाहुल्य है तो कोई गलत नहीं होगा। इस अंतिम चरण का मतदान 8 मार्च को 7 जनपदों की 40 विधानसभा सीटों के लिए होगा।
इन 40 विधानसभा सीटों के पिछले विधानसभा के चुनावों के परिणाम पर एक नजर डालें तो हम देखेंगे कि 40 सीटों में सर्वाधिक 24 सीटें सपा, 5 सीट बसपा, 4 भाजपा, 3 कांग्रेस, 3 निर्दलीय व 1 मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के खाते में गई थी।
किंतु इस अंतिम चरण के चुनाव में मुख्य रूप से अगर 9 सीटों पर निगाह डाली जाए तो इन सीटों पर बाहुबलियों का जमावड़ा देखने को मिलेगा। इनमें जौनपुर जिले की मल्हनी विधानसभा सीट पर बाहुबली धनंजय सिंह तो सपा के कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव आमने-सामने हैं।
2012 के चुनाव में पारसनाथ यादव सपा से विजयी हुए थे। उन्होंने धनंजय सिंह की पत्नी डॉ. जाग्रति सिंह को हराया था, जबकि इस बार बाहुबली धनंजय सिंह निषाद पार्टी से चुनाव मैदान में हैं, वही मडियाहू विधानसभा सीट से बाहुबली मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह अपना दल (कृष्णा गुट) से चुनाव मैदान में हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में भी सीमा अपना दल से चुनाव लड़ी थीं किंतु उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। जीत सपा के खाते में गई थी। सपा की श्रद्धा यादव विजयी हुई थीं।
चंदौली के सैयद राजा विधानसभा सीट से माफिया ब्रजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं। प्रतिद्वंद्वी के रूप में उनके सामने बसपा से बाहुबली विनीत सिंह चुनाव मैदान में जोर-आजमाइश कर रहे हैं जबकि सपा से इलाके के ही अपना वर्चस्व रखने वाले मनोज कुमार को प्रत्याशी बनाया गया है। मनोज ने गत विधानसभा चुनाव में माफिया ब्रजेश सिंह को निर्दलीय चुनाव लड़ हराया था।
वाराणसी के पिंडरा विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस ने बाहुबली अजय राय को प्रत्याशी बनाया है। भदोही की ज्ञानपुर विधानसभा सीट से भी बाहुबली विजय मिश्रा सपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय ही चुनाव लड़ रहे हैं।
जौनपुर जिले की ही शाहगंज विधानसभा सीट से बाहुबली उमाकांत के बेटे दिनेशकान्त यादव अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी से चुनाव लड़ रहे हैं। गाजीपुर की जमानिया सीट से पूर्वांचल के बाहुबली विख्यात मुख्तार अंसारी के बेहद करीबी कहे जाने वाले अटल राय बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं।
चंदौली जिले की सकलडीहा विधानसभा सीट पर माफिया डॉन ब्रजेश सिंह के भतीजे सुनील सिंह भाजपा से चुनाव मैदान में हैं। सुनील गत चुनाव में भी निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल कर चुके हैं, जबकि गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पूर्वांचल के सबसे बड़े माफिया मुख्तार अंसारी परिवार के लिए प्रतिष्ठा की है, क्योंकि यह सीट गत 1985, 1989, 1991, 1993 व 1996 तक अंसारी परिवार में ही रही। यहां से अफजल अंसारी विधायक होते रहे।
किंतु वर्ष 2002 के चुनाव में भाजपा के कृष्णानंद राय से उन्हें हार का सामना करना पड़ा किंतु कृष्णानंद राय की हत्या होने के बाद 2005 में हुए उपचुनाव में राय की पत्नी अलका राय ने जीत हासिल की थी लेकिन 2007 व 2012 के चुनाव में अंसारी परिवार के सिबगतउल्ला से वे हार गईं। इस बार के चुनाव में भी अलका भाजपा से चुनाव लड़ रही हैं और उनके सामने फिर अंसारी परिवार के विधायक सिबगतउल्ला बसपा से चुनाव मैदान में हैं।
उपरोक्त सभी 9 सीटों पर चुनावी मुकाबला बड़ा ही आक्रामक व संवेदनशील है जिस पर चुनाव 8 मार्च को अंतिम चरण का होगा।