Budget 2020 : वित्तमंत्री के बजट भाषण पर दिखाई देगा CAA के विरोध का असर ?
शुक्रवार से शुरु हो रहे संसद के बजट सत्र में CAA का मुद्दा जोर शोर से उठने के आसार है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने पहले ही एलान कर दिया है कि सत्र में वह CAA के मुद्दें को जोर शोर से उठाएगा। ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या वित्तमंत्री के बजट भाषण पर भी CAA और उसके बाद देश में बने माहौल का असर देखने को मिलेगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ऐसे समय अपना दूसरा बजट पेश करने जा रही है जब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष समेत कई अन्य वित्तीय एजेंसियां अर्थव्यवस्था की धीमी गति के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कई तरह के संदेह जता चुकी है और उसकी रेटिंग लगातार गिराती जा रही है।
ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के बाद सरकार की साख को लेकर जो सवाल खड़े हो रहे है उसको बनाए रखने के लिए क्या वित्तमंत्री अपने बजट भाषण में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कुछ विशेष एलान करेगी। वेबदुनिया ने जब शेयर बाजार के एक्सपर्ट और निवेशकों से बात की तो उन्होंने इस बात को माना कि आज लोगों का विश्वास जीतना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और इसकी झलक वित्त मंत्री के बजट भाषण में दिखाई दे सकती है।
शेयर बाजार के निवेशक डेनिक्स रॉडिक्स कहते हैं कि वर्तमान में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश में शांति बनाना और लोगों का विश्वास जीतना है। वह कहते हैं कि जब देश में शांति होगी तभी बाहर के निवेशक भारत में निवेश करने में दिलचस्पी दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि बजट में वित्त मंत्री को ऐसे एलान करने होंगे कि जिससे लोगों के हाथों में पैसा आए और प्रोडेक्शन बढ़े जिससे कि लोगों को काम मिले।
वह कहते हैं कि आज रोजगार नहीं होने के चलते पढ़ाई करने के बाद स्टूडेंट घर में बैठने के लिए मजबूर है और जब लोग घर में बैठेंगे तो कैसे देश की जीडीपी बढ़ेगी। वह कहते हैं कि आज सरकार की नीतियों को लोगों में संदेह की भावना आ गई है और लोग सरकार पर विश्वास नहीं कर पा रहे है। वह कहते हैं कि आज CAA को लेकर देश में बेवजह टेंशन का माहौल बनाया गया है, सरकार की पहली प्राथमिकता इन का विश्वास जीतना होना चाहिए और इसके लिए बजट में वित्तमंत्री एलान कर सकती है।
वहीं बजट से पहले शेयर बाजार में निवेशक हैरान परेशान है। शेयर बाजार में जिस तरह लगातार उतार चढ़ाव देखा जा रहा है उससे निवेशक अनिल पांडे निराश नजर आ रहे है। वह कहते हैं कि मोदी सरकार की नीतियां कॉरपोरेट सेक्टर और उद्योग जगत के लिए ज्यादा है। वह कहते हैं कि उनको न तो वित्तमंत्री और न ही सरकार के कोई उम्मीद है।