रविवार, 22 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. उज्जैन दर्शन
  3. उज्जैन महाकाल मंदिर
  4. Harihar milan ujjain 2024 date mahakal baba ki sawari ujjain
Written By WD Feature Desk
Last Modified: गुरुवार, 14 नवंबर 2024 (12:03 IST)

शिवजी आज सौंपेंगे भगवान विष्णु को पृथ्वी का भार, होगा हरिहर मिलन, उज्जैन में निकाली जाएगी बाबा महाकाल की सवारी

बैकुंठ चतुर्दशी पर उज्जैन में होगा हरिहर मिलन, जानिए इसके पीछे की कथा और मान्यता और पालकी का रुट

Harihar milan
Harihar milan ujjain 2024 date: प्रतिवर्ष वैकुण्ड चतुर्दशी पर उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर से बैकुंठ चतुर्दशी के मौके पर हरिहर मिलन के लिए बाबा महाकाल की सवारी निकाली जाती है। इस बार बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व 14 नवंबर 2024 गुरुवार को है। महाकाल मंदिर और गोपाल मंदिर में पर्व को लेकर तैयारियां पूर्ण हो चुकी है और अब हरिहर मिलन होगा। मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के बाद बैकुंठ चतुर्दशी पर श्री हर (महाकालेश्वर भगवान) श्री हरि (भगवान विष्णु) को सृष्टि का भार सौंपकर कैलाश पर्वत पर चले जाते हैं। बाबा पालकी मैं बैठकर सवारी निकालेंगे।ALSO READ: Vaikuntha chaturdashi 2024: वैकुण्ठ चतुर्दशी पर श्रीहरिहर पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
 
महाकाल पालकी मार्ग: सवारी निकलने के दौरान पूरे रास्ते पर श्रद्धालु भगवान का स्वागत करने के लिए जोरदार आतिशबाजी करते हैं। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि परंपरा अनुसार महाकाल मंदिर के सभामंडप से रात 11 बजे श्री महाकालेश्वर भगवान की पालकी धूम-धाम से निकाली जाएगी। यह पालकी गुदरी चौराहा, पटनी बाजार से होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी। जहां पूजन के दौरान बाबा श्री महाकालेश्वर जी बिल्व पत्र की माला गोपाल जी को भेट करेंगे। बैकुंठनाथ अर्थात श्री हरि तुलसी की माला बाबा श्री महाकाल को भेट करेंगे। पूजन उपरांत श्री महाकालेश्वर जी की सवारी पुन: इसी मार्ग से श्री महाकाल मंदिर वापस लौट आएगी।
क्या है बैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन की मान्यता?
हर साल बैकुंठ चतुर्दशी के मौके पर यह यात्रा निकाली जाती है। मान्यता के अनुसार देव शयनी एकादशी के दिन से चार माह के लिए भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने चले जाते हैं। उस समय पृथ्वी लोक की सत्ता भगवान महादेव के पास होती है। फिर जब देव उठनी एकादशी पर विष्णुजी जाग जाते हैं तब बाद में बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव यह सत्ता पुनः श्री विष्णु को सौंपकर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लौट जाते हैं। इसी परंपरा के तहत इस दिवस को बैकुंठ चतुर्दशी, हरि-हर भेंट भी कहते हैं।ALSO READ: Vaikuntha chaturdashi date 2024: वैकुण्ठ चतुर्दशी का महत्व, क्यों गए थे श्री विष्णु जी वाराणसी?
 
शिवजी का करें अभिषेक : इस दौरान भगवान शिवजी के शिवलिंग पर जलाभिषेक, पंचामृत अभिषेक या रुद्राभिषेक करें। इस दौरान शिवलिंग की पूजा के साथ ही मां पार्वती का पूजन करें। सफेद पुष्प, सफेद चंदन, अक्षत, पंचामृत, सुपारी, फल, गंगाजल/ पानी से भगवान शिव-पार्वती का पूजन करें तथा पूजन के समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप निरंतर करते रहे। इन दिनों शिव जी के मंत्र, चालीसा, आरती, स्तुति, कथा आदि अधिक से अधिक पढ़ें अथवा सुनें। गरीबों को भोजन कराएं, सामर्थ्यनुसार दान करें। व्रत के दौरान फल का प्रयोग कर सकते हैं।
 
दीपदान, ध्वजादान और पुण्य कर्म : इस दिन भगवान को दीपदान और ध्वजादान की भी करना चाहिए। इस दिन में गौओं को घास खिलानी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का किसी भी अन्य दिनों की अपेक्षा में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है।
 
ये भी पढ़ें
प्रेरक प्रसंग : नानक देव और कुष्‍ठ रोगी