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Written By WD

तुम्हारी याद कभी आसरा थी

aaj ka sher | तुम्हारी याद कभी आसरा थी
तुम्हारी याद सरे शब जब भी आती है,
मेरे सुकूँ मेरी तन्हाइयों को खाती है।
तुम्हारी याद कभी आसरा थी जीने का,
तुम्हारी याद से अब रूह काँप जाती है - तलहा 'ताबिश'