मंगलवार, 22 जुलाई 2025
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. उर्दू साहित्‍य
  4. »
  5. आज का शेर
Written By WD

अफ़सोस तो ये है कि मेरे मद्‌‌दे मुक़ाबिल

आज का शेर

आज का शेर
NDND
अफ़सोस तो ये है कि मेरे मद्‌‌दे मुक़ाबिल
क़ातिल है मगर वार में काजल की कमी है'
अहमद कमाल परवाज़

एक अर्थ तो यही है कि मेरे सामने मेरा वही महबूब है जिसका हुस्न क़ातिल है और उसके चेहरे पर काजल की कमी है। दूसरा अर्थ व्यापक है और शेर हर तरह की कमी पर कहीं भी इस्तेमाल हो सकता है। मुक़ाबला और क़ातिल शब्द में नुक्ता लगता है और बोलने में इसका अभ्यास किया जाना चाहिए।

मद्‌दे मुकाबिल - सामने