• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. नन्ही दुनिया
  4. »
  5. तेनालीराम की कहानियां
  6. तेनालीराम की कहानियां : तेनाली का पुत्र
Written By WD

तेनालीराम की कहानियां : तेनाली का पुत्र

Tenali Raman ki Chaturai | तेनालीराम की कहानियां : तेनाली का पुत्र
राजा कृष्णदेव राय के महल में एक विशाल उद्यान था। वहां विभिन्न प्रकार के सुंदर-सुंदर फूल लगे थे। एक बार एक विदेशी ने उन्हें एक पौधा उपहार में दिया जिस पर गुलाब उगते थे। बगीचे के सभी पौधों में राजा को वह पौधा अत्यंत प्रिय था।

एक दिन राजा ने देखा कि पौधे पर गुलाब की संख्या कम हो रही है। उन्हें लगा कि हो न हो, अवश्य ही कोई गुलाबों की चोरी कर रहा है। उन्होंने पहरेदारों को सतर्क रहने तथा गुलाबों के चोर को पकड़ने का आदेश दिया।

अगले दिन पहरेदारों ने चोर को रंगेहाथ पकड़ लिया। वह और कोई नहीं, तेनाली का पुत्र था।

FILE


उस समय के नियमानुसार किसी भी चोर को जब पकड़ा जाता था तो उसे विजयनगर की सड़कों पर घुमाया जाता था। अन्य लोगों की तरह तेनालीराम ने भी सुना कि उसके पुत्र को गुलाब चुराते हुए पकड़ा गया है।

जब तेनालीराम का पुत्र सिपाहियों के साथ घर के पास से गुजर रहा था, तो उसकी पत्नी तेनाली से बोली, 'अपने पुत्र की रक्षा के लिए आप कुछ क्यों नहीं करते?'

इस पर तेनालीराम अपने पुत्र को सुनाते हुए जोर से बोला, 'मैं क्या कर सकता हूं? हां यदि वह अपनी तीखी जुबान का प्रयोग करे, तो हो सकता है कि स्वयं को बचा सके।'

FILE


तेनालीराम के पुत्र ने जब यह सुना तो वह कुछ समझ नहीं पाया। वह सोचने लगा कि पिताजी की इस बात का आखिर क्या अर्थ हो सकता है? पिताजी ने जरूर उसे ही सुनाने के लिए यह बात इतनी जोर से बोला है। मगर तीखी जुबान के प्रयोग करने का क्या मतलब हो सकता है? यदि वह इसका अर्थ समझ जाए तो वह बच सकता है।

कुछ क्षण पश्चात उसे समझ में आ गया कि पिता के कहने का क्या अर्थ है? अपनी तीखी जुबान को प्रयोग करने का अर्थ था कि वह मीठे गुलाबों को किसी को दिखने से पहले ही खा ले। अब क्या था, वह धीरे-धीरे गुलाब के फूलों को खाने लगा। इस प्रकार महल में पहुंचने से पहले ही वह सारे गुलाब खा गया और सिपाहियों ने उस पर कोई ध्यान भी नहीं दिया।

FILE


दरबार में पहुंचकर सिपाहियों ने तेनालीराम के पुत्र को राजा के सामने प्रस्तुत किया और कहा, महाराज! इस लड़के को हमने गुलाब चुराते हुए रंगेहाथों पकड़ा।'

'अरे! इतना छोटा बालक और चोर', राजा ने आश्चर्य से पूछा।

इस पर तेनालीराम का पुत्र बोला, 'महाराज, मैं तो केवल बगीचे से जा रहा था, परंतु आपको प्रसन्न करने के लिए इन्होंने मुझे पकड़ लिया। मुझे लगता है कि वास्तव में ये स्वयं ही गुलाब चुराते होंगे। मैंने कोई गुलाब नहीं चुराया। क्या आपको मेरे पास कोई गुलाब दिखाई दे रहा है? यदि मैं रंगेहाथों पकड़ा गया हूं, तो मेरे हाथो में गुलाब होने चाहिए थे।'

गुलाबों को न पाकर पहरेदार अचंभित हो गए। राजा उन पर क्रोधित होकर बोले, 'तुम एक सीधे-सादे बालक को चोर कैसे कह सकते हो? इसे चोर सिद्ध करने के लिए तुम्हारे पास कोई सबूत भी नहीं है। जाओ और भविष्य में बिना सबूत के किसी पर अपराधी होने का आरोप मत लगाना।'

इस प्रकार तेनालीराम का पुत्र तेनाली की बुद्धिमता से स्वतंत्र हो गया

(समाप्त)