पाकिस्तानी टीम ट्वेंटी-20 विश्वकप 2007 में उपविजेता रही थी और फाइनल मैच में भारत से बहुत कम अंतर से हारी थी। उसके बाद से लेकर पाकिस्तान टीम ने टी-20 क्रिकेट में उल्लेखनीय सफलता हासिल की थी।
				  																	
									  टीम में युवा खिलाड़ियों की भरमार थी और उनके जोश के दम पर पाकिस्तान ने टी-20 क्रिकेट में खासी सफलता हासिल की थी। लेकिन टीम की कमान बल्लेबाज यूनुस खान के हाथों में थी जिनकी जगह टेस्ट और ज्यादा से ज्यादा वनडे टीम में बनतीी थी क्योंकि उनकी तकनीक अच्छी थी और वह बड़े शॉट्स खेलने की जगह सिर्फ पारी को सुदृढता देते थे।
				  साल 2007 में मैन ऑफ द टूर्नामेंट बने शाहिद आफरीदी से टीम को इस बार भी गेंद और बल्ले से जीत की उम्मीद थी। पाकिस्तान का पहला अभ्यास मैच भारत से हुआ जिसमें उसे हार नसीब हुई।				  						
						
																							
									  इसके बाद इंग्लैंड से हुए मैच में भी पाकिस्तान 48 रनों के बड़े अंतर से हार गई। मेजबान इंग्लैंड ने 185 रन बनाए थे और पाकिस्तान 7 विकेट खोकर 137 रन ही बना पाया था।				  																													
								 
 
 
  
														
																		 							
																		
									  ऐसा लगा कि पाकिस्तान इस टूर्नामेंट में कुछ खास नहीं कर पाएगा। पाकिस्तान सिर्फ कमजोर टीम जैसे नीदरलैंड और आयरलैंड को ही हरा पा रहा था। श्रीलंका से भी पाकिस्तान 19 रनों से हार गया और 151 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 131 रनों पर 9 विकेट गंवा चुका था।				  
				  
2 हार के बाद पाकिस्तान पर टूर्नामेंट से बाहर होने का खतरा था। लेकिन इसके बाद पाक टीम ने कमाल कर दिया। न्यूजीलैंड जैसी सशक्त टीम को 99 रनों पर आउट कर दिया। पाकिस्तान के तेज गेंदबाज उमर गुल के 6 रन देकर 5 विकेट लेने वाला स्पैल आज भी मशहूर है। इस मैच को पाकिस्तान ने 6 विकेट से जीता।
				  																	
									  सेमीफाइनल में पाकिस्तान का मुकाबला दक्षिण अफ्रीका से था और द. अफ्रीका के सामने पाकिस्तान सिर्फ 149 रन बना सका। लेकिन जब बल्लेबाजी की बारी आयी तो पाकिस्तानी स्पिनरों ने शिकंजा कस दिया। यह रोमांचक मैच पाकिस्तान 7 रन से जीत गई।				  																	
									  
अफरीदी के आलराउंड प्रदर्शन से मिली खिताबी जीतफाइनल में उसका मुकाबला श्रीलंका से था। जिस टीम से वह लीग मैच में हारी थी। लेकिन मुकाबला शुरु हुआ था पाक पूरी तरह से लंका पर भारी था। टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले तिलकरत्ने दिलशान को मोहम्मद आमिर ने शून्य के स्कोर पर ही पवैलियन रवाना कर दिया।
				  																	
									  जयसूर्या और जयवर्धने जैसे बल्लेबाज पहले ही पॉवरप्ले में रवाना हो गए थे और श्रीलंका 4 विकेट गंवा चुका था। वह थो भला हो उस दिन उमर गुल फॉर्म में नहीं थे और संगाकार की संघर्षपूर्ण पारी (64 रन) की बदौलत श्रीलंका जैसे तैसे 138 रनों तक पहुंच पाया।				  
				  
पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाजों ने धमाकेदार शुरुआत की। हालांकि 10वें ओवर से पहले दोनों आउट हो गए। फिर क्रीज पर उतरे शाहिद अफरीदी जिन्होंने शोएब मलिक के साथ 76 रनों की साझेदारी कर पाकिस्तान को जीत दिला दी। अफरीदी ने 40 गेंदो में 54 रन बनाए जिसमें 2 चौके और 2 छक्के शामिल थे।
				  																	
									  अफरीदी ने गेंदबाजी में एक विकेट भी लिया था और बल्ले से इस पारी ने उन्हें मैन ऑफ द मैच बना दिया। हालांकि वह मैन ऑफ द टूर्नामेंट बनने में असफल रहे और तिलकर्त्ने दिलशान (317) को इस पुरुस्कार से नवाजा गया। इस टूर्नामेंट के ठीक बाद पाकिस्तान के कप्तान युनुस खान ने अपना इस्तीफा दे दिया।				  																	
									  
पाकिस्तान टीम- यूनिस खान (कप्तान), अहमद शहजाद, फवाद आलम, इफ्तिखार अंजुम, कामरान अकमल, मिस्बाह उल हक, मोहम्मद आमेर, सईद अजमल, सलमान बट्ट, शाहिद अफरीदी, शाहजेब हसन, शोएब मलिक, सोहैल तनवीर, उमर गुल, यासिर अराफात।