करीब 1 साल पहले भारत टी-20 विश्वकप 2021 के सेमीफाइनल से बाहर निकल गया था। विराट और शास्त्री की जोड़ी टीम इंडिया से अलग हो गई थी। इसके बाद राहुल द्रविड़ ने कोच की कमान संभाली। लेकिन इस विश्वकप में इंग्लैंड से मिली 10 विकेटों की हार के बाद अब उन पर भी क्षेत्रवाद के आरोप लगने लगे हैं।
राहुल द्रविड ने अपनी जिद्द के चलते अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को मौका दिया और नतीजा अंत में सबके सामने आया।
केएल राहुल को लगातार सलामी बल्लेबाजी करवाईकेएल राहुल और राहुल द्रविड़ कर्नाटक से हैं। यह सवाल दर्शकों के मन में अब आया है जब राहुल द्रविड़ ने राहुल को लगातार फ्लॉप होने के बाद मौका दिया। राहुल बेहद खराब फॉर्म में चल रहे थे और उन्होंने पहले तीन मैचों में केवल 22 रन बनाए लेकिन फिर भी द्रविड़ की चाह ने उनको मौका दिया।
केएल राहुल ने इसके बाद बांग्लादेश और फिर जिम्बाब्वे के खिलाफ करीब 30 गेंदो में अर्धशतक जड़ा लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ वह फिर फेल हो गए। केएल राहुल के कारण भारत पूरे टूर्नामेंट में तेज शुरुआत नहीं ले पाई।
पॉवरप्ले पर पड़ा असर, औसत स्कोर सिर्फ 36 रनों काकेएल राहुल का लगातार खेलना टीम इंडिया के लिए शुरुआत में ही मुश्किलें खड़ी करता रहा। भारत ने ग्रुप चरण की तरह सेमीफाइनल में भी काफी धीमी बल्लेबाजी की और टीम शुरुआती छह ओवर में केवल 38 रन की बना सकी। इंग्लैंड का दृष्टिकोण इसके विपरीत था क्योंकि उन्होंने छह ओवर में 63 रन बनाए।
टी20 विश्व कप से पहले भारत ने अधिक आक्रामक बल्लेबाजी रवैया अपनाया था लेकिन रोहित शर्मा और लोकेश राहुल जैसे खिलाड़ी बड़े मंच पर उम्मीद के मुताबिक नहीं खेल पाए।दरअसल पूरे टूर्नामेंट में ही भारत इस समस्या से जूझा। पाकिस्तान के खिलाफ 30, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 35 वहीं बांग्लादेश जैसी टीम के खिलाफ भी भारत 36 रन और जिम्बाब्वे के खिलाफ 46 रन बना पाया था।
ऋषभ पंत को नहीं दिया सलामी बल्लेबाजी का मौकादिलचस्प बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर ऋषभ पंत को मौका देने से भारतीय सलामी बल्लेबाजी क्रम में एक बाएं हाथ का बल्लेबाज शामिल हो सकता था जिससे दाएं और बाएं हाथ की जोड़ी से भारत को फायदा मिल सकता था। लेकिन बल्लेबाजी कोच इस कोण को भी नहीं समझना चाहते थे। शायद राठौड़ के पीछे राहुल द्रविड़ का दबाव था। नहीं तो यह बात हर विशेषज्ञ और क्रिकेट फैन कह रहा था। पंत टीम को एक धमाकेदार शुरुआत दे सकते थे जो टीम को कभी नहीं मिली। इसके साथ ही कार्तिक और पंत के बीच की दुविधा भी खत्म हो जाती।
अश्विन को दी चहल के ऊपर तरजीहआर अश्विन भी दक्षिण भारत से हैं और राहुल द्रविड़ के खास माने जाते हैं। शायद यही कारण रहा कि उन्हें विकेट ना मिलने पर भी लगातार मौके मिले। सिर्फ जिम्बाब्वे के खिलाफ आर अश्विन ने विकेट चटकाए।
कलाई के स्पिनर की जगह उंगली के स्पिनर को मौका देना भारी पड़ गया। युजवेंद्र चहल 1 मैच में भी टीम का हिस्सा नहीं बन पाए।
आदिल राशिद, ज़ेम्पा, हसारंगा, राशिद खान, शादाब खान... ये सब T20 क्रिकेट के सफल राइट आर्म लेग स्पिनर हैं अपनी अपनी टीम के इक्के हैं।
द्रविड़ ने ये सारी बातें नकार दीं और भारत के श्रेष्ठ युजवेंद्र चहल को बस सैर कराई और अश्विन से विकटों की उम्मीद लगाई । सभी का यह मानना था कि धीमी होती हुई पिचों पर यूजी चहल खतरनाक साबित होंगे। लेकिन 1 साल से टी-20 टीम का हिस्सा रहे चहल को 1 भी मौका नहीं मिला वहीं 1 साल से टी-20 टीम से बाहर अश्विन को हर मैच में मौका मिला।
दिनेश कार्तिक को दी पंत के ऊपर तरजीहदिनेश कार्तिक भी दक्षिण भारतीय हैं और राहुल द्रविड ने उनके साथ क्रिकेट भी खेला है। दोनों का रिश्ता बहुत अच्छा है। लेकिन यह रिश्ता टीम इंडिया को बहुत भारी पड़ा।
2007 की टी-20 टीम का हिस्सा रहे कार्तिक किसी भी मैच में मैच फिनिश नहीं कर सके। पाकिस्तान के खिलाफ भी उन्होंने टीम को मुश्किल में डाल दिया था। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी जब टीम को जरुरत थी तब वह फ्लॉप साबित हुए।
लगातार फ्लॉप होते हुए कार्तिक को अंतिम 2 मैचों में बाहर रखा गया। लेकिन तब तक ऋषभ पंत भी कुछ कमाल नहीं दिखा सकते थे। वह इन दोनों मैचों में सस्तेे में आउट हो गए। अगर यह कहें की टीम मैनेजमेंट कार्तिक और पंत में से किसे लें के सवाल में उलझी रही तो गलत नहीं होगा।
कुल मिलाकर हम कभी भी टैलेंट की कमी से विश्वकप नही हारते, हार की वजह हमेशा घटिया कप्तानी और घटिया टीम सिलेक्शन होता है। रोहित शर्मा की कप्तानी से भी ज्यादा राहुल द्रविड़ का टीम सिलेक्शन सवालों के घेरे में आया।