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Written By भाषा

कुंबले यानी एक जुझारू क्रिकेटर

कुंबले यानी एक जुझारू क्रिकेटर -
600 टेस्ट विकेट के शिखर पर विराजित अनिल कुंबले की जुझारू क्षमता उनके खेल में दिखाई देती है। कम बोलने में विश्वास रखने वाले कुंबले मैदान पर अपने करिश्माई और जुझारू काम से बोलते हैं। उनकी आक्रामकता चेहरे पर नहीं मैदान पर दिखाई देती है। वे मैदान के अंदर और बाहर एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जो किसी भी युवा के आदर्श हो सकते हैं।

कुंबले की जुझारू क्षमता का परिचय वर्ष 2002 में वेस्टइंडीज के खिलाफ सेंट जोंस (एंटिगुआ) में चौथे टेस्ट के दौरान देखने को मिला। श्रृंखला के इस महत्वपूर्ण दौरे में बल्लेबाजी के दौरान एक बाउंसर से उनका जबड़ा टूट गया और ऐसे में उनके खेलने पर संदेह गहरा गया था, लेकिन अगले ही दिन कुंबले अपने चेहरे और सिर पर पट्टी बाँधे मैदान पर नजर आए।

उन्होंने न केवल बेहतरीन गेंदबाजी की बल्कि कप्तान ब्रायन लारा का महत्वपूर्ण विकेट भी हासिल किया। इस दौरान उन्होंने 14 ओवर फेंके। मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ।

* श्रीलंका के खिलाफ 1997 में उन्होंने एक पारी में बिना थके 72 ओवर फेंके थे। इस पारी में श्रीलंका

* 271 ओवरों में 952 रन बनाए। जवाब में भारत ने 167.3 ओवरों में 537 रन बनाए और मैच ड्रॉ रहा था।

* ऐसे बहुत कम गेंदबाज हैं जिन्होंने एक टेस्ट मैच में 250 से ज्यादा रन दिए हों। बिना किसी शिकायत के कुंबले ने 2004 में सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 88.5 ओवर फेंकते हुए 279 रन दिए, लेकिन उन्होंने इस दौरान 12 विकेट भी हासिल किए। यह उनकी जुझारू क्षमता को दर्शाता है।