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Written By WD Sports Desk
Last Modified: रविवार, 5 जनवरी 2025 (16:56 IST)

अर्जुन पुरस्कार मेरा मजाक उड़ाने वालों को जवाब है: पैरा शटलर नित्या

अर्जुन पुरस्कार मेरा मजाक उड़ाने वालों को जवाब है: पैरा शटलर नित्या - It’s an answer to all those who made fun of me Para shuttler Nithya on Arjuna Award
Arjuna Award winner Nithya Sre Sumathy Sivan : अर्जुन पुरस्कार के लिए चुनी गई पैरालंपिक कांस्य पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी नित्या श्री सुमति सिवन को अब भी स्कूल के वे आंसू भरे दिन याद हैं अपने ऊपर कसी गई फब्तियों से निराश होकर वह अवसाद में रहने लगी थी।
 
इस 19 साल की खिलाड़ी ने कहा कि यह प्रतिष्ठित पुरस्कार निराशा के उन दिनों को देखते हुए उचित सम्मान की तरह है।
 
नित्या ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘जब मैं छठीं या सातवीं कक्षा में थी तब मेरा शारीरिक विकास रुक गया था। स्कूल में मेरे खिलाफ शरारत होती थी। मैं बहुत दुखी रहती थी। मैं परेशानी होकर हर छोटी-छोटी बात पर रोती रहती थी। यह पुरस्कार उन लोगों को जवाब है कि मैं भी कुछ कर सकती हूं और बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकती हूं।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने कई साथी खिलाड़ियों को देखा है जो पुरस्कार जीत रहे हैं और उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। इसलिए राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक प्राप्त करना बहुत प्रतिष्ठित है।’’
 
इस युवा खिलाड़ी ने कहा, ‘‘यह मेरे लिए गर्व का क्षण है। सभी पदक और पुरस्कार मेरे लिए उपहार की तरह हैं। यह मेरी कड़ी मेहनत, खेल के प्रति समर्पण, हर दिन अभ्यास करने, हर चीज का पालन करने और अनुशासित रहने को मान्यता प्रदान करता है।’’
 
तमिलनाडु के होसुर में जन्मी और पली-बढ़ी नित्या जब सिर्फ एक साल की थी, तब उनकी मां का निधन हो गया था।  पिता और दादी ने उनका लालन-पालन किया और इस दौरान उनके भाई ने उनका पूरा साथ दिया।
 
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अक्सर घर के अंदर रहती थी। मेरे पिता मुझे खेलने के लिए लगातार प्रेरित करते थे ताकि मैं घर से बाहर निकलने में संकोच न करूं। इसमें बैडमिंटन ने मेरी मदद की है। मैं अब वास्तव में स्वतंत्र महसूस करती हूं। बैडमिंटन खेलने से पहले, मैं वास्तव में ज्यादा बात नहीं करती था लेकिन अब बिना किसी झिझक के मैं लोगों से बात करती हूं।’’
 
एशियाई पैरा खेलों (2022) में तीन कांस्य पदक जीतने वाली नित्या के पिता को खेलों से काफी लगाव है। उनके भाई ने भी जिला स्तर पर क्रिकेट खेला है। नित्या ने भी पहले क्रिकेट खेलना शुरू किया था।
 
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिताजी हर रविवार को एक बड़ी टीम के साथ क्रिकेट खेलते थे और मैं उनके साथ देखने जाती थी। मेरा भाई जिला स्तर का खिलाड़ी था और मैं भी उसके साथ उसकी अकादमी में जाती थी कभी-कभी, हम गली क्रिकेट खेलते थे।  जब मैंने क्रिकेट अपनाने पर विचार किया, तो वह कोई महिला खिलाड़ी नहीं थी।’’
 
रियो ओलंपिक के दौरान उन्होंने पहली बार बैडमिंटन देखा और उसके बाद सब कुछ बदल गया। यह उनका पसंदीदा खेल और फिर जूनून बन गया।
 
नित्या ने कहा, ‘‘मेरे भाई ने फिटनेस के लिए बैडमिंटन चुना और मैं भी उनके साथ जुड़ गयी। 2016 में सिंधु को देखकर मुझे प्रेरणा मिली और मैंने अपने दोस्तों के साथ गली की सड़कों पर बैडमिंटन खेलना शुरू किया। इससे अभ्यास में मेरी रुचि जगी और मैंने सप्ताह में दो बार अभ्यास करना शुरू कर किया। यह समय के साथ धीरे-धीरे दैनिक सत्र में बढ़ता गया।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘ कोविड के दौरान मैं अभ्यास नहीं कर सकी थी। महामारी खत्म होने के बाद मैंने फिर से खेल शुरू किया और पैरा बैडमिंटन में प्रशिक्षण के लिए लखनऊ (भारतीय टीम के मुख्य कोच गौरव खन्ना के अधीन) चली गयी।’’
 
 नित्या ने इसके बाद अपने गृह नगर के निकट होने के कारण हाल ही में प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी (पीपीबीए) में प्रशिक्षण शुरू किया है।
 
भविष्य की योजना पूछे जाने पर नित्या ने कहा, ‘‘ एशियाई चैंपियनशिप इस साल प्रमुख पैरालंपिक आयोजनों में से एक होगी। अगले साल विश्व चैम्पियनशिप है। मेरा लक्ष्य 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक अपने खेल के चरम पर पहुंचने का है।’’ (भाषा)