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Last Updated : शनिवार, 4 जनवरी 2025 (15:27 IST)

विराट कोहली का 'Ego' प्रॉब्लम? नहीं छोड़ पा रहे ऑफ स्टंप की गेंद, सचिन से सीख लेने का सही वक्त

विराट कोहली का 'Ego' प्रॉब्लम? नहीं छोड़ पा रहे ऑफ स्टंप की गेंद, सचिन से सीख लेने का सही वक्त - Virat Kohli too stubborn to let go of his ego repeatedly failing to learn from his mistakes off stumps
Virat kohli repeatedly failing to learn from mistakes : बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में भारत के बड़े स्टार जिस तरह फ्लॉप हुए हैं, वो बेहद शर्मनाक है, टेस्ट में भारतीय क्रिकेट की दशा दयनीय होती जा रही है, लेकिन उस से भी निराशाजनक फैंस के लिए विराट कोहली को बार बार एक ही तरह आउट होते देखना रहा है।

8 में से 7 पारियों में विराट कोहली एक ही ढंग से आउट हुए हैं, ऑफ स्टंप की गेंद को छेड़ते हुए। कई एक्सपर्ट और महान क्रिकेट उन्हें कई तरह की सलाह दे चुकें हैं लेकिन विराट जिस तरह बार बार एक ही गलती दोहराते हैं, उन्हें देख ऐसा लगता है कि वे या तो अपना ईगो साइड में नहीं रख पा रहे हैं या अनुशासन से नहीं खेल पा रहे हैं। लगातार बुरे फॉर्म में चल रहे रोहित शर्मा ने सिडनी मैच से खुद को अलग रखा और अनुमान लगाया जा रहा है कि यह उनकी आखिरी सीरीज भी हो सकती है लेकिन विराट कोहली के बुरे फॉर्म का क्या?

ऑफ स्टंप से बाहर जाती गेंद उन्हें लगातार परेशान कर रही है, या कहा जा सकता है कि वे उसे करने दे रहे हैं। ताजुब की बात तो यह है कि इस सीरीज में वे सातों बार एक ही ढंग से आउट हुए। सिडनी टेस्ट में विराट कोहली स्कॉट बोलैंड की गेंद पर आउट हुए, बोलैंड ने पांचवें या छठे स्टंप की लाइन पर गेंद फेंकी, बाउंस को कोहली समझ नहीं पाए और स्लिप में डेब्यूटांट ब्यू वेबस्टर ने भी उनका कैच लपकने में कोई गलती नहीं की और विराट 69 गेंदों में 17 रन बनाकर आउट हुए।


अगर पर्थ में उनके शतक को छोड़ दिया जाए तो कोहली ने पिछली 20 टेस्ट पारियों में सिर्फ 17.57 की औसत से रन बनाए हैं।  टेस्ट मैच की पहली पारी में विराट कोहली का औसत 2024 के बाद से सिर्फ 7 का रहा है, बुमराह से भी कम जिनका इस दौरान पहली पारी में औसत 8 का रहा है। ये आंकड़े वाकई चौकाने वाले हैं।



विराट कोहली हमेशा से मैदान पर ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने आलोचकों को अपने बल्ले से सटीक जवाब दिया है, उनके मुँह पर ताला जड़ा है लेकिन इस बार कोहली ने खुद लगातार आलोचकों को आलोचना करने के लिए चीज़ें दी है, अब तो उनके फैंस भी उन्हें डिफेंड नहीं कर पा रहे हैं और करेंगे भी कैसे? आखिर बात प्रदर्शन और भारतीय क्रिकेट के भविष्य की जो है।

दुनियाभर में क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में से एक माने जाने विराट के पास अब क्रिकेट के सबसे लम्बे फॉर्मेट में अपनी जगह बनाए रखने के लिए सिर्फ एक पारी है और शायद उन्हें उनके आदर्श सचिन तेंदुलकर से सीख लेने का वक्त आ गया है जिन्होंने 2003-04 दौरे पर सिडनी टेस्ट में एक इन्निंग बिना कवर ड्राइव खेलकर नाबाद 241 रन बनाए थे।   

उस दौरान सचिन ने खुद को कंट्रोल किया था और सिचुएशन की डिमांड को समझा था लेकिन विराट ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें समझना होगा कि वे चाहे कितने भी बड़े प्लेयर हों, उन्हें कुछ चीज़ों को बदलकर अपने और भारतीय क्रिकेट के भविष्य की और देखना होगा।