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Last Updated : मंगलवार, 18 दिसंबर 2018 (17:24 IST)

भारतीय भारोत्तोलकों ने बिखेरी चमक पर डोपिंग का दाग भी लगा

भारतीय भारोत्तोलकों ने बिखेरी चमक पर डोपिंग का दाग भी लगा - World champion Meerabai Chanu, Indian weightlifters
नई दिल्ली। रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन, युवा स्टार और प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं में अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ बीता साल भारतीय भारोत्तोलन के लिए शानदार था लेकिन डोपिंग के एक मामले ने इस सफलता की चमक कुछ फीकी कर दी।
 
 
विश्व चैंपियन मीराबाई चानू ने बेहतरीन प्रदर्शन किया जबकि जेरेमी लालरिननुंगा भविष्य के स्टार के रूप में उभरे। राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता संजीता चानू के डोप टेस्ट में विफल रहने से हालांकि 2018 के यागदार प्रदर्शन की चमक कुछ कम हुई। 
 
सोलह साल के लालरिननुंगा ने युवा ओलंपिक खेलों की इस स्पर्धा में भारत को अब तक का पहला स्वर्ण पदक दिलाया। इससे पहले सीनियर भारोत्तोलकों ने राष्ट्रमंडल खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। 
 
एशियाई खेलों में हालांकि भरोत्तोलक उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए और उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। सबसे बड़ा लम्हा अक्टूबर में आया जब लालरिननुंगा ने ब्यूनस आयर्स में पुरुष 62 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर अपना नाम इतिहास में दर्ज कराया।
 
मिजोरम के इस किशोर भारोत्तोलक ने 274 किग्रा (124 किग्रा और 150 किग्रा) के अपने निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ सोने का तमगा जीता। रजत पदक विजेता तुर्की के टोपतास केनर ने लालरिननुंगा से 11 किग्रा वजन कम उठाया। इससे पहले अप्रैल में सीनियर भारोत्तोलकों ने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन किया जिसमें मीराबाई चानू का रिकॉर्ड आकर्षण रहा। 
 
पी गुरुराजा ने रजत पदक के साथ भारत के पदकों का खाता खोला। चौबीस साल की मीराबाई ने स्नैच वर्ग में राष्ट्रमंडल खेलों का रिकॉर्ड बनाया। मणिपुर की इस भारोत्तोलक ने इसके बाद अपने वजन के दोगुने से भी अधिक भार उठाते हुए क्लीन एवं जर्क के अलावा खेलों का ओवरआल रिकॉर्ड भी बनाया।
 
संजीता चानू ने भी 192 किग्रा (84 और 108 किग्रा) के साथ खेलों का नया रिकार्ड बनाते हुए राष्ट्रमंडल खेलों में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीता। भारतीय भारोत्तोलकों ने पांच स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक सहित कुल नौ पदक जीते। 
 
मीराबाई (48 किग्रा), संजीता (53 किग्रा), सतीश शिवलिंगम (77 किग्रा), वेंकट राहुल रगाला (85 किग्रा) और पूनम यादव (69 किग्रा) ने स्वर्ण पदक जीते जबकि गुरुराजा (56 किग्रा) और प्रदीप सिंह (105 किग्रा) ने रजत पदक हासिल किए। विकास ठाकुर (94 किग्रा) और 18 साल के दीपक लाठेर (69 किग्रा) को कांस्य पदक मिले। 
 
भारत राष्ट्रमंडल खेलों में भारोत्तोलन की पदक तालिका में शीर्ष पर रहा जबकि इन खेलों में टीम पूर्णकालिक फिजियोथेरेपिस्ट की सेवाओं के बिना उतरी थी क्योंकि भारतीय ओलंपिक संघ समय पर जरूरी दस्तावेज जमा नहीं करा पाया था। 
 
डोपिंग के रूप में विवाद हालांकि भारतीय भारोत्तोलन का हिस्सा बना जब संजीता को प्रतिबंधित एनाबालिक स्टेरायड के लिए पाजीटिव पाया गया और अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएफ) ने उन्हें अस्थाई रूप से प्रतिबंधित किया। 
 
एशियाई खेलों से पहले मीराबाई को रहस्यमयी चोट लगी। उनकी स्थिति में सुधार हुआ लेकिन इसके बावजूद मणिपुर की यह भारोत्तोलक महाद्वीपीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए फिट नहीं थी। 
 
एशियाई खेलों में जकार्ता में भारत की चार सदस्यीय टीम ने लचर प्रदर्शन किया। अजय सिंह 77 किग्रा वर्ग में निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बावजूद पांचवें स्थान पर रहे जबकि सतीश को स्पर्धा के दौरान जांघ में चोट लग गई। विकास 94 किग्रा में आठवें स्थान पर रहे जबकि महिला 63 किेग्रा वर्ग में राखी हलधर एक भी बार सही तरीके से वजन नहीं उठा पाईं। 
 
मीराबाई को भारत के क्रिकेट कप्तान विराट कोहली के साथ देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के लिए चुना गया जबकि इस भारोत्तोलक के कोच विजय शर्मा को भी द्रोणाचार्य पुरस्कार मिला।
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