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Last Updated : शुक्रवार, 26 अगस्त 2022 (16:17 IST)

'सर्वश्रेष्ठ से नीचे कुछ मंजूर नहीं, नंबर 1 वन बनना होगा भारत को', पूर्व कप्तान की खरी खरी

'सर्वश्रेष्ठ से नीचे कुछ मंजूर नहीं, नंबर 1 वन बनना होगा भारत को', पूर्व कप्तान की खरी खरी - Viren Raskina opines no less than optimum level should be consoled from hockey
नई दिल्ली: भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान वीरेन रसकिन्हा ने गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (जीआईटीएएम) हैदराबाद परिसर विश्वविद्यालयी ‘चेंजमेकर्स’ श्रृंखला में भाग लेते हुए छात्रों के साथ बातचीत करते हुए “नम्बर एक बनो बनो और दूसरा सर्वश्रेष्ठ कुछ नहीं’(बी द बेस्ट एंड नॉट द सेकेंड बेस्ट...) के मंत्र को दोहराया।

हॉकी में वर्ष के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के लिए 2005 का अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित रसकिन्हा ने कहा कि खेल सभी को टीम निर्माण, समानता, अनुशासन, समावेश, दृढ़ता, सम्मान और निष्पक्षता जैसे मूल्यों को सिखाने का एक उत्कृष्ट साधन है।

हॉकी के पूर्व कप्तान रसकिन्हा ने मुंबई की गलियों में अपने बड़े होने के दिनों के बारे में बात करते हुए कहा कि उन्होंने 1996 के अटलांटा ओलंपिक में लिएंडर पेस की जीत को अपने जीवन का सबसे अतिसंवेदनशील बिंदु करार दिया। उन्हाेंने कहा, “ मैं अभी किशोरावस्था में था। यह मेरी प्रेरणा का क्षण था और तभी से मेरे मन में भारत के लिए खेलने की चाह जगी और मेरी इच्छा भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी करने की जगी था और ओलंपिक में खेलना चाहता था। मैं खुशनसीब हूं कि मैंने ये सब पाया। ”

रसकिन्हा 2004 में एथेंस ओलंपिक टीम के सदस्य थे। रसकिन्हा ने 2008 में 28 साल की उम्र में मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी छोड़ दी थी। वह अब ओलंपिक गोल्ड केस्ट के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

रसकिन्हा ने कहा,“ खेल में आप जीतने से ज्यादा हारते हैं। जो कि सबसे कठिन दौर होता है। मेरे लिए खेल की सबसे बड़ी सीख जो कि हार के बाद वापसी करने करने में मदद करती है। हार से सीखना जीत से सीखने की तुलना में कहीं अधिक बड़ा है। अपने मंत्र को दोहराते हुए उन्होंने कहा, “ सर्वश्रेष्ठ बनो और इससे ज्यादा दूसरा सर्वश्रेष्ठ कुछ नहीं। यदि आप दूसरे सर्वश्रेष्ठ हैं, तो भी आपको जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए। ”

छात्रों को प्रतिदन सैर और व्यायाम के माध्यम से सक्रिय रहने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा, “जो जुनून आप चाहते हैं उसका पीछा करें और एक स्वस्थ राष्ट्र के लिए खेल की संस्कृति को आगे बढ़ायें।”(वार्ता)
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