जैवलिन थ्रो में कभी यूरोप की बोलती थी तूती, अब भारत पाक के यह दो खिलाड़ी है शीर्ष पर
भारत के स्टार भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा को पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक के लिए अरशद नदीम के रूप में कड़ी चुनौती मिलेगी लेकिन पाकिस्तान के इस शीर्ष खिलाड़ी ने कहा कि अभी दोनों एथलीट ऐसे खेल में दबदबा बनाकर बहुत खुश हैं जिसमें एक समय यूरोप की तूती बोलती थी।
क्रिकेट के प्रति जुनूनी पाकिस्तान में नदीम विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाले पहले एथलीट बनकर सुर्खियों में छा गये हैं।नदीम ने रविवार को बुडापेस्ट में पुरुष भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में रजत पदक जीता जबकि ओलंपिक चैम्पियन चोपड़ा ने स्वर्ण पदक हासिल किया।नदीम ने पीटीआई से कहा, नीरज और मेरे बीच काफी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है और हम एक दूसरे का बहुत सम्मान करते हैं। पाकिस्तान-भारत जैसी कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं है। जब हम बातचीत करते हैं तो हमें खुशी होती है कि हम ऐसी प्रतिस्पर्धा में नाम कमा रहे हैं जिसमें आमतौर पर यूरोपीय एथलीट का दबदबा रहता था। यह नदीम का पहला पदक नहीं है। उन्होंने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में 90.18 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से स्वर्ण पदक जीता था।
नदीम का कहना है कि विश्व चैम्पियनशिप के रजत पदक से काफी संतोष मिला क्योंकि वह चोपड़ा के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहे थे जो हाल के वर्षों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं।चोपड़ा ग्रोइन चोट के कारण राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा नहीं ले सके थे और अरशद ने यूरोपीय खिलाड़ियों के दबदबे के बावजूद स्वर्ण पदक जीता।रविवार को फाइनल के बाद चोपड़ा ने अपने पाकिस्तानी प्रतिद्वंद्वी को विक्ट्री लैप में शामिल करने के लिए बुलाया।
नदीम ने कहा, मेरे लिए 87.82 मीटर का थ्रो फेंकना बहुत संतोषजनक उपलब्धि है क्योंकि कोहनी की चोट के कारण मैं करीब एक साल के बाद अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में वापसी कर रहा था।
चोपड़ा और नदीम के बीच प्रतिद्वंद्विता अब भाला फेंक जगत में चर्चा का विषय बन गयी है। रविवार को यह चीज काफी दिलचस्प रही कि पहली बार पाकिस्तान और भारतीय एथलीट विश्व चैम्पियनशिप में एक ही समय में सुर्खियों में आये।
नदीम के रजत पदक जीतते ही पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर उनकी उपलब्धि के लिए उपयुक्त पुरस्कार सुनिश्चित किये जाने की बातें चलने लगी और सबसे पहले उन्हें बधाई कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकर ने दी।
वह क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन उनके बड़े भाईयों और स्कूल के खेल शिक्षक ने उन्हें एथलेटिक्स में आने के लिए प्रोत्साहित किया।नदीम ने कहा, मैं क्रिकेटर बनना चाहता था लेकिन मेरे भाईयों और खेल शिक्षक ने कहा कि मेरी कद काठी शीर्ष एथलीट की है।
नदीम का ध्यान अगले साल पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के अपने लक्ष्य पर लगा हुआ है। उन्होंने कहा, मैं अपने देश के लिए ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतना चाहता हूं। इसके लिए काफी कड़ी मेहनत और ट्रेनिंग करनी होगी, इसके लिये सर्वश्रेष्ठ उपकरण चाहिए होंगे लेकिन मैं जानता हूं कि मैं सर्वश्रेष्ठ एथलीट के खिलाफ अच्छा करने में सक्षम हूं।
नदीम के पास भी अपने समकालीन खिलाड़ियों की तरह शीर्ष कोच, विदेशी ट्रेनिंग और सर्वश्रेष्ठ उपकरण की सुविधायें नहीं है क्योंकि पाकिस्तान एथलेटिक्स महासंघ हमेशा तंगी में रहता है और देश में भाला फेंक खिलाड़ियों के लिए शीर्ष स्तरीय ट्रेनिंग सुविधायें मौजूद नहीं हैं।लेकिन नदीम अपने नियोक्ता वापदा के प्रति शुक्रगुजार हैं जिन्होंने उन्हें कोच और ट्रेनिंग के लिए सुविधायें मुहैया करायी हैं
।(भाषा)