- सीमान्त सुवीर
देवी अहिल्या की नगरी इंदौर...स्वच्छ भारत अभियान में देशभर में नंबर वन बना इंदौर...और मध्यप्रदेश की खेलों की राजधानी कहे जाने वाले इंदौर शहर में तीन ओलंपियन पहलवानों की कुश्ती लड़ी गई..ये वो पहलवान थे जो किसी कुश्ती के आयोजन में जाने के लिए लाखों रुपए लेते हैं लेकिन इंदौर में राष्ट्रीय स्पर्धा में उन्होंने मुफ्त में मुकाबले लड़े। इन कुश्तियों को देखने में इंदौरी कुश्ती प्रेमियों की बेरुखी कई सवाल खड़े करने पर मजबूर करती है...
ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट के अलावा फिल्म 'दंगल' फेम गीता फोगाट इंदौर आए और अभय प्रशाल में तीन दिनों तक आकर्षण का केंद्र रहे। इंदौर में कहीं भी कोई कुश्ती दंगल हो तो 5 से 10 हजार कुश्ती दीवानों का जमावड़ा होना स्वाभिक है। 15 से 18 नवंबर तक जब राष्ट्रीय सीनियर कुश्ती के मुकाबलों में जहां दर्शकदीर्घाएं खचाखच भरी होनी थी, वो नजारा सिर्फ आखिरी दिन ही देखने को मिला।
कुश्ती को सम्मान देने में बरती कंजूसी : पहले तो ऐसा लग रहा था कि इंदौर के कुश्ती दीवानों के लिए सितारा पहलवानों की कुश्ती देखने के लिए अभय प्रशाल के बाहर बड़ी एलईडी स्क्रीन लगानी पड़ेगी क्योंकि इतने बड़े कुश्ती हुजूम का भीतर समाना मुश्किल हो जाएगा लेकिन शहर के पहलवानों, उस्तादों और कुश्ती दर्शकों ने राष्ट्रीय कुश्ती को और पहलवानों को जो सम्मान देना था, उसमें कंजूसी बरती।
इंदौर में लड़ चुके हैं चंदगीराम और गामा पहलवान : जिस जमीन पर हिंद केसरी मास्टर चंदगीराम, पटियाला के गामा पहलवान जैसे विख्यात पहलवान लड़े हो, वो जमीन कुश्ती दीवानों के लिए तरसे, यह आंखों को अच्छा नहीं लगा। इंदौर की गौरवशाली परंपरा रही है...बड़े बड़े नामी अखाड़े रहे हैं। देशभर में इंदौर का कुश्ती में किस कदर सम्मान है, इसका अंदाज फिल्म 'डॉन' से लगाया जा सकता है।
'डॉन' फिल्म में अमिताभ बच्चन का यादगार डॉयलाग : फिल्म के नायक अमिताभ बच्चन विलेन को पटककर कहते हैं 'हम भी इंदौर के विजय बहादुर उस्ताद के पठ्ठे हैं, ऐसे वैसे नहीं हैं।' छावनी स्थित विजय बहादुर व्यायामशाला 109 साल पुरानी हैं, जहां 1950 के दशक में इंदौर में जन्में सलमान खान के चाचा नईम खान और उनके पिता सलीम खान जोर करने और कुश्ती कला को सीखने जाया करते थे। 3 साल के सलमान खान ने बचपन से घर में कुश्ती देखी और बाद में वे इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज के जिम में बदन तराशने जाया करते थे...
प्रचार-प्रसार की कमी खली : बहरहाल, मुद्दे की बात तो यह है कि ओलंपियनों और देशभर से आए 800 से ज्यादा पहलवानों के लिए बेकाबू भीड़ क्यों नहीं जुटी? इसका सीधा-सा जवाब है कि शहर में 120 पदकों के लिए 80 लाख रुपए खर्च करके कुश्ती के इतने बड़े आयोजन के लिए जिस तरह से प्रचार-प्रसार होना था, वो नहीं हो पाया। मध्यप्रदेश कुश्ती संघ के सचिव पप्पू यादव ने अकेले ही पूरे आयोजन की जिम्मेदारी अपने कंधों पर डाल ली थी। इसके लिए वे कई रातों तक सो भी नहीं पाए। उनके साथ सहसचिव ओमप्रकाश खत्री भी लगे रहे...
मिसाल बन सकता था इंदौर का कुश्ती आयोजन : यदि पप्पू आयोजन से पहले इंदौर के अखाड़ों में जाते और इस आयोजन में उनका सहयोग भी लेते तो कई मायनों में यह आयोजन इंदौर के लिए मिसाल बन जाता। सुविधाओं के नजरिए से अभय प्रशाल में कोई कमी नहीं थी, कुश्ती के राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रजभूषणसिंह शरण से लेकर प्रतियोगिता में आए सुशील कुमार, साक्षी मलिक, फोगाट बहनें, अन्य पहलवान के अलावा कुश्ती संघ के पदाधिकारी खाने से लेकर रहने तक की प्रशंसा करते नजर आए। न केवल उन्होंने आयोजन की प्रशंसा की बल्कि इसे अब तक का श्रेष्ठ आयोजन बताया...
हसीन यादों का गुलदस्ता लेकर गए नामी पहलवान : देशभर से आए पहलवानों की मेहमाननवाजी में आयोजकों की तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी गई थी और यही कारण था कि हर नामी पहलवान इंदौर से हसीन यादों का गुलदस्ता लेकर गया है। जब भी वे यादों के गलियारे में टहलेंगे तो उन्हें यह शहर जरूर याद आएगा। राष्ट्रीय कुश्ती के इतिहास में इतना बढ़िया आयोजन इससे पहले किसी भी शहर में नहीं हुआ।
सात दिनों के बाद ठीक से सोए पप्पू यादव : इस आयोजन के कर्ता-धर्ता ओलंपियन पप्पू यादव सात दिनों के बाद रविवार को जाकर सोए। उन्होंने बताया कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण जाते-जाते एयरपोर्ट पर कह गए कि इंदौर की मेजबानी ने राष्ट्रीय स्पर्धा की शान बढ़ाई है....कोषाध्यक्ष भोलानाथ सिंह ने तो यह तक कह दिया कि उन्होंने 44 साल में किसी भी राष्ट्रीय स्पर्धा में इतना विविध और स्वादिष्ट भोजन नहीं खाया। सचिव बीएन प्रसूद ने पप्पू को संदेश भेजा कि इस आयोजन को भारतीय कुश्ती जगत में हमेशा याद किया जाता रहेगा।
कुश्ती दर्शकों के मामले में बन सकता है कीर्तिमान : राष्ट्रीय सीनियर कुश्ती का आयोजन तो ये शुरुआत भर है। आने वाले समय में यहां राष्ट्रमंडल कुश्ती के आयोजन भी संभावित हैं। तब पप्पू यादव और उनकी टीम को खुले दिल से पूरे इंदौर के कुश्ती जगत को साथ लेकर चलना होगा। यदि ऐसा होता है तो कोई शक नहीं कि इंदौर कुश्ती दर्शकों के मामले में नया कीर्तिमान न बने...