'सडन डैथ' में मलेशिया के हाथों हार के साथ भारत का ओलंपिक टिकट का सपना टूटा
जकार्ता। भारत का 18वें एशियाई खेलों की पुरुष हॉकी प्रतियोगिता में अपना स्वर्ण पदक बरकरार रखने और 2020 के टोकियो ओलंपिक का टिकट पाने का सपना गुरुवार को मलेशिया के हाथों 'सडन डैथ' में दिल तोड़ने वाली हार के साथ टूट गया। भारत को मलेशियाई टीम ने सडन डैथ में 7-6 से पराजित कर स्वर्ण पदक मुकाबले में प्रवेश कर लिया।
निर्धारित समय में मुकाबला 2-2 से बराबर रहने के बाद शूटआउट का सहारा लिया गया जिसमें दोनों टीमें 2-2 से बराबर रहीं। मुकाबला फिर 'सडन डैथ' में खिंच गया जिसमें एसवी सुनील के अपनी पेनल्टी चूकते ही मलेशिया ने जश्न मनाना शुरू कर दिया।
भारतीय टीम ने 4 साल पहले इंचियोन में पेनल्टी शूटआउट में गोलकीपर पीआर श्रीजेश के शानदार प्रदर्शन से पाकिस्तान को हराकर स्वर्ण पदक जीता था लेकिन इस बार श्रीजेश निराश कर गए और शूटआउट तथा 'सडन डैथ' में मलेशिया को नहीं रोक सके। इस हार के बाद भारतीय टीम अब कांस्य पदक के लिए खेलेगी। मलेशिया का फाइनल में मुकाबला पाकिस्तान और जापान के बीच खेले जाने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा।
भारतीय टीम को निर्धारित समय के 59वें मिनट में गोल खाना अंतत: भारी पड़ गया। भारत के पास तब तक 2-1 की बढ़त थी लेकिन मलेशिया के मोहम्मद रेजी ने पेनल्टी कॉर्नर पर बराबरी का गोल दाग दिया। शूटआउट में दोनों टीमों ने 2-2 निशाने साधे। 'सडन डैथ' में मुकाबला बराबर चलता रहा और 6-6 का स्कोर हो चुका था।
ताजुद्दीन अहमद ने मलेशिया को 7-6 से आगे किया और अब सुनील पर दबाव आ गया। सुनील इस दबाव में टूट गए और भारत के लिए बराबरी का गोल नहीं कर सके। इस हार के साथ ही भारत का फिर स्वर्ण पदक जीतने का सपना टूट गया। हालांकि भारत को अभी महिला हॉकी टीम से उम्मीद है, जो शुक्रवार को जापान के खिलाफ अपना फाइनल खेलेगी।
भारतीय टीम ने ग्रुप मैचों में गोलों की बरसात की थी और हांगकांग के खिलाफ 26-0 का अपना रिकॉर्ड भी बनाया था। लेकिन अहम सेमीफाइनल मुकाबले में भारतीय खिलाड़ियों ने अंतिम क्षणों में गोल खाने की कमजोरी फिर दिखाई और यही कमजोरी उसे ले डूबी।