मंगलवार, 17 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. सिख धर्म
  4. Guru Tegh Bahadur Jayanti 2023
Written By

गुरु तेग बहादुर जयंती 2023, जान दे दी लेकिन झुके नहीं

गुरु तेग बहादुर जयंती 2023, जान दे दी लेकिन झुके नहीं - Guru Tegh Bahadur Jayanti 2023
इस वर्ष 11 अप्रैल 2023, मंगलवार को गुरु तेग बहादुर सिंह (guru teg bahadur) जी की जयंती मनाई जा रही है, उनको एक क्रांतिकारी युग पुरुष कहा जाता है। विश्व इतिहास में धर्म, मानवीय मूल्यों, आदर्शों तथा सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है। उन्होंने अपनी जान दे दी लेकिन वे झुके नहीं। 
 
वैशाख कृष्ण पंचमी को उनकी जयंती मनाई जाती है, क्योंकि गुरु तेग बहादुर सिंह जी का जन्म पंजाब के अमृतसर में वैशाख कृष्ण पंचमी के दिन हुआ था। वे सिखों के नौंवें गुरु थे। उनका बचपन का नाम त्यागमल था और पिता का नाम गुरु हरगोबिंद सिंह था। 
 
बाल्यावस्था से ही गुरु तेग बहादुर संत स्वरूप गहन विचारवान, उदार चित्त, बहादुर व निर्भीक स्वभाव के थे। मीरी-पीरी के मालिक गुरु-पिता गुरु हरिगोबिंद साहिब की छत्र छाया में उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। इसी समय तेग बहादुर जी ने गुरुबाणी, धर्मग्रंथ तथा शस्त्रों और घुड़सवारी आदि की शिक्षा प्राप्त की। 
 
सिखों के 8वें गुरु हरिकृष्ण राय जी की अकाल मृत्यु हो जाने की वजह से गुरु तेग बहादुर जी को गुरु बनाया गया था। मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया। 
 
इस वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया। गुरु तेग बहादुर सिंह जहां भी गए, उनसे प्रेरित होकर लोगों ने न केवल नशे का त्याग किया, बल्कि तंबाकू की खेती भी छोड़ दी। उन्होंने देश को दुष्टों के चंगुल से छुड़ाने के लिए जनमानस में विरोध की भावना भर, कुर्बानियों के लिए तैयार किया और मुगलों के नापाक इरादों को नाकामयाब करते हुए कुर्बान हो गए। सिक्खों के नौंवें गुरु तेग बहादुर सिंह ने अपने युग के शासन वर्ग की नृशंस एवं मानवता विरोधी नीतियों को कुचलने के लिए अपना बलिदान दे दिया। 
 
गुरु तेग बहादुर सिंह जी द्वारा रचित बाणी के 15 रागों में 116 शबद (श्लोकों सहित) श्रीगुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं। शस्त्र, शास्त्र, संघर्ष, वैराग्य, लौकिक, रणनीति,  राजनीति और त्याग आदि सारे गुण गुरु तेग बहादुर सिंह में मौजूद थे, ऐसा संयोग मध्ययुगीन साहित्य व इतिहास में बिरला ही देखने को मिलता है। 
 
प्रेम, सहानुभूति, त्याग, ईश्वरीय निष्ठा, समता, करुणा और बलिदान जैसे मानवीय गुण गुरु तेग बहादुर सिंह जी में विद्यमान थे। उन्होंने विश्वास, धर्म की रक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर सर्वोच्च बलिदान दिया था, इसलिए उन्हें सम्मान के साथ 'हिन्द की चादर' कहा जाता है। 

ये भी पढ़ें
Ramadan 2023: सब्र का प्याला और मगफिरत का उजाला है 20वां रोजा