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Last Updated : सोमवार, 28 फ़रवरी 2022 (18:36 IST)

महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त 2022: 6 राजयोग और 7 शुभ मुहूर्त में कैसे करें शिव पूजन

महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त 2022: 6 राजयोग और 7 शुभ मुहूर्त में कैसे करें शिव पूजन - Mahashivratri Shubh Muhurta Puja vidhi
इस बार का महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही खास है। शुभ मुहूर्त के साथ शुभ संयोग, शुभ ग्रह योग और राजयोग में होगा पूजन। इस दुर्लभ संयोग में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह होगा। आओ जानते हैं 6 तरह के राजयोग, 7 शुभ मुहूर्त और शिव पूजन विधि। 
 
 
महाशिवरात्रि डेट : इस वर्ष महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 03.16 मिनट से शुरू होकर बुधवार, 2 मार्च को सुबह 10 बजे तक रहेगी। कहते हैं महाशिवरात्रि के दिन चाहे कोई भी समय हो भगवान शिव जी की आराधना करना चाहिए। 
 
शिव पूजा शुभ मुहूर्त Shiv puja muhurt : 
1. अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:47 से दोपहर 12:34 तक।
2. विजय मुहूर्त : दोपहर 02:07 से दोपहर 02:53 तक।
3. गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:48 से 06:12 तक।
4. सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 06:00 से 07:14 तक।
5. निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:45 से 12:35 तक।
6. अमृत काल : शाम 06:03 से 07:33 तक।
6. रात्रि में शिव जी के पूजन का शुभ समय शाम 06.22 मिनट से शुरू होकर रात्रि 12.33 मिनट तक रहेगा।
 
खास संयोग : धनिष्ठा नक्षत्र में परिघ योग रहेगा। धनिष्ठा के बाद शतभिषा नक्षत्र रहेगा। परिघ के बाद शिव योग रहेगा। 
 
6 राजयोग : ज्योतिष विद्वानों के अनुसार शिव योग के साथ ही शंख, पर्वत, हर्ष, दीर्घायु और भाग्य नाम के राजयोग बन रहे हैं। 
 
पंचग्रही योग : इस दिन मकर राशि में चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र और शनि रहेंगे। मतलब बारहवें भाव में मकर राशि में पंचग्रही योग रहेगा। लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी। चतुर्थ भाव में राहु वृषभ राशि में जबकि केतु दसवें भाव में वृश्‍चिक राशि में रहेगा।
 
चन्द्रबल : मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर और मीन।
 
ताराबल : भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद और रेवती है।
 
mahashivratri shubh muhurat
शिव पूजा विधि Shiv puja vidhi :
 
पूजन के 16 उपचार होते हैं जैसे 1. पांच उपचार, 2. दस उपचार, 3. सोलह उपचार।
 
1. पांच उपचार : गंध, पुष्प, धूप, दीप और नेवैद्य।
 
2. दस उपचार : पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र निवेदन, गंध, पुष्प, धूप, दीप और नेवैद्य।
 
3. सोलह उपचार : पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए।
 
आप जिस भी उपचार के माध्यम से पूजा करना चाहते हैं करें।
 
- भगवान शंकर की पूजा तीन रूपों में होती है। पहला शिवलिंग रूप, दूसरा शंकर रूप और तीसरा रुद्र रूप। पुराणों में उल्लेखित है कि सूर्यास्त से दिनअस्त तक का समय भगवान ‍'शिव' का समय होता है जबकि वे अपने तीसरे नेत्र से त्रिलोक्य (तीनों लोक) को देख रहे होते हैं और वे अपने नंदी गणों के साथ भ्रमण कर रहे होते हैं।
 
- महाशिवरात्रि की विधि-विधान से विशेष पूजा निशिता या निशीथ काल में होती है। हालांकि चारों प्रहरों में से अपनी सुविधानुसार यह पूजन कर सकते हैं। साथ ही महाशिवरात्री के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है।
 
- महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा होती है। इस दिन मिट्टी के पात्र या लोटे में जलभरकर शिवलिंग पर चढ़ाएं इसके बाद उनके उपर बेलपत्र, आंकड़े के फूल, चावल आदि अर्पित करें। जल की जगह दूध भी ले सकते हैं।
 
- महाशिवरात्रि व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
 
- महाशिवरात्रि के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
 
- उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर उनका जलाभिषेक करें।
 
- फिर शिवलिंग पर दूध, फूल, धतूरा आदि चढ़ाएं। मंत्रोच्चार सहित शिव को पंच अमृत, चंदन, आंकड़ा एवं बेल की पत्तियां चढ़ाएं। माता पार्वती जी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
 
- इसके बाद उनके समक्ष धूप, तिल के तेल का दीप और अगरबत्ती जलाएं।
 
- इसके बाद ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
 
- पूजा के अंत में शिव चालीसा और शिव आरती का पाठ करें।
 
-पूजा समाप्त होते ही प्रसाद का वितरण करें।
 
- शिव पूजा के बाद व्रत की कथा सुननी आवश्यक है।
 
- व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
 
- दिन में दो बार (सुबह और सायं) भगवान शिव की प्रार्थना करें।
 
- संध्याकाल में पूजा समाप्ति के बाद व्रत खोलें और सामान्य भोजन करें।
 
चीजों से करें भोलेनाथ जी को प्रसन्न : 
1. धतूरा : धतूरा अर्पित करने से सभी तरह के संकटों का समाधान हो जाता है। 
 
2. आंकड़ा : एक आंकड़े का फूल चढ़ाना सोने के दान के बराबर फल देता है।
 
3. बिल्वपत्र : बिल्वपत्र को अर्पित करने से 1 करोड़ कन्याओं के कन्यादान का फल मिलता है। यह शिवजी के तीन नेत्रों का प्रतीक है।
 
4. देसी घी : शिवलिंग पर घी अर्पित करने से व्यक्ति में शक्ति का संचार होता है।
 
5. भांग : भांग अर्पित करना शुभ माना जाता है। इससे शिवजी अपने भक्तों की हर तरह से रक्षा करते हैं।
 
6. चीनी : चीनी अर्पित करने से जीवन में कभी भी यश, वैभव और कीर्ति की कमी नहीं होती है।
 
7. दूध : किसी भी प्रकार के रोग से मुक्त होने और स्वस्थ रहने के लिए दूध अर्पित करें।  
 
8. दही : जीवन में परिपक्वता और स्थिरता प्राप्त करने के लिए दही अर्पित करते हैं। 
 
9. इत्र :  इत्र चढ़ाने से तन और मन की शुद्धि होती है साथ ही तामसी आदतों से मुक्ति भी मिलती है। 
 
10. केसर : लाल केसर से शिवजी को तिलक करने से सोम्यता प्राप्त होती है और मांगलिक दोष भी दूर होता है।

 
पूजा की सावधानियां :
 
1. शिव पूजा में तुलसी का पत्ता अर्पित नहीं किया जाता है।
 
2. शिवजी को केतकी और केवड़ा के फूल अर्पित नहीं करते हैं।
 
3. शिवजी के समक्ष शंख भी नहीं बजाया जाता है। 
 
4. शिवजी को नारियल भी अर्पित नहीं किया जाता है। 
 
5. शिवजी को रोली और कुमकुम भी नहीं लगाया जाता है। 
 
6. शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा नहीं की जाती है।