शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
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खाना पचाने के 4 सरल हिन्दू तरीके

खाना पचाने के 4 सरल हिन्दू तरीके | 4 hindu ways to digest food better
आधुनिक जीवन शैली के चलते बहुत से लोगों को कब्ज की शिकायत हो चली है। खाना समय पर पचना नहीं है और फिर पेट भी फुलता जा रहा है। समय की व्यस्तता के चलते कसरत करने का समय भी कहां हैं। ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि खाना समय पर पच जाए तो आपको हिन्दू जीवन शैली को अपनाना चाहिए। हालांकि हम आपको यहां 5 ऐसे सरल तरीके बता रहे हैं जिन्हें करने में आपको जरा भी मेहनत नहीं लगेगी और खाना पच जाएगा।
 
 
नोट: उत्तम भोजन का चयन करें और भोजन करने का समय और नियम बनाएं। भोजन ऐसा करें जो आपके शरीर के लिए सही हो और समय पर पच जाए। कुछ तो भी पेट में भरते रहने की आदत को छोड़ना होगा। शरीर कोई डस्टबिन नहीं है। दूसरी बाद यदि आप तंबाकू खाते या सिगरेट पीते हैं तो यह आलेख आपके लिए नहीं हैं।
 
 
1.अच्छे से खाना चबाएं
कई लोग भोजन को अच्छे से चबाकर नहीं खाते हैं। यदि आप दांतों का अच्छे से उपयोग करेंगे तो आपकी आंतों को मेहनत नहीं करना पड़ेगी। ऐसे में आंतों को खाना पचाने में आसानी होगी। हिन्दू शास्त्रों, आयुर्वेद और योग में लिखा है कि एक ग्रास या कोल को कम से कम 32 बार चबाना चाहिए। 32 दांत होते हैं इसलिए कम से कम 32 बार। 32 बार चबाने से भोजन पूरी तरह से टूट कर saliva में घुल जाता है जो आसानी से पच जाता है।

 
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार गृहस्थ को 32 ग्राह ही खाना चाहिए। सबसे पहले मीठा, फिर नमकीन, अंत में कड़वा खाना चाहिए। सबसे पहले रसदार, बीच में गरिष्ठ, अंत में द्रव्य पदार्थ ग्रहण करें। थोड़ा खाने वाले को आरोग्य, आयु, बल, सुख, सुंदर संतान और सौंदर्य प्राप्त होता है।
 
 
2.उचित मात्रा में जल पीएं
भोजन के एक घंटा पूर्व पानी पीएं और फिर भोजन के एक घंटा बाद ही पानी पीएं। इस बीच पानी ना पीएं। पानी से भोजन पचता है, लेकिन पानी की मात्रा कम या अधिक है तो भोजन सड़ता है। अत: उचित मात्रा में और उचित समय पर पानी पीना चाहिए। उचित अर्थात सम्यक।
 
 
पानी का काम भोजन को पचाना होता है। यदि आपने कम पानी पीया है तो यह उचित नहीं है और ज्यादा पीया है तो भी उचित नहीं है सम्यक अर्थात ठीक ठीक मात्रा में पानी पीएं। आपके शरीर को जब प्यास लगे तभी पानी पीएं और उतना ही पीएं जितनी की प्यास है। यदि आपके शरीर के तापमान के अनुसार आप 4 डिग्री कम या ज्यादा पानी पीते हैं तो यह एक आदर्श स्थिति है। पानी घुंट घुंट पीएं। एक साथ बहुत ज्यादा पानी नहीं पीएं।
 
 
3.प्राणायाम करें या उचित रूप से श्वास लें
जिस तरह पानी का कार्य भोजन को पचाना और वजन को घटाना होता है उसी तरह वायु का काम भी भोजन को पचाकर बाहर निकालना होता है। यदि आप उचित रूप से श्‍वास लेकर बाहर छोड़ नहीं रहे हैं तो भोजन को पचने में देर लगेगी। यदि आप उचित रूप से श्वास नहीं ले पा रहे हैं तो प्राणायाम का अभ्यास करें। अनुलोम विलोम करने से भोजन जल्दी से पचता है।
 
 
आप अपनी श्वास प्रश्वास पर ध्यान देंगे तो पता चलेगा की वह उचित तरीके से चल नहीं रही है। आप बार गले के नीचे तक ही लेकर छोड़ देते हैं। कभी-कभार ही फेफड़े पूर्ण वायु से भर पाते होंगे। दिन में पेट तक हवा जाना या श्‍वास खींचना को बहुत मुश्किल से ही हो पाता हो होगा। ऐसे में जब आप सो जाते हैं तब ही आपकी श्वास अच्छे से जलती है। कई बार क्रोध में, चिंता में या बुरे विचारों के कारण हमारी श्वास की गति बदल जाती है। इसे पाचन क्रिया बाधित होती है।
 
 
4.उपवास या उचित नियम
पाचन क्रिया को कभी-कभी विराम भी देना होता है। इसके लिए आप सप्ताह में एक बार उपवास जरूर रखें। उपवास के दौरान आप कुछ भी खाएं नहीं। इस दौरान आप फल या सब्जी का ज्यूस पी सकते हैं। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं तो आप प्रतिदिन 16 घंटे का उपवास रखें।

 
16 घंटे के उपवास का मतलब यह कि आप रात को जब खाना खाएं तो 16 घंटे बाद अगले दिन भोजन करें। मतलब यह कि आपके डिनर और लंच के बीच 16 घंटे का फासला हो और इस बीच आप चाय, दूध या किसी भी प्रकार का ज्यूस ना पीएं। हां आप नींबू पानी ले सकते हैं। दरअसल यह उपवास नहीं है। बस इस तरह की जीवन शैली में आपको सुबह की चाय और नाश्ता ही छोड़ना पड़ेगा। अब अपने शरीर के लिए इतना तो कर सही सकते हैं आप। यही उचित नियम है।