हिंदू इतिहास ग्रंथ पुराणों में त्रैलोक्य का वर्णन मिलता है। ये तीन लोक हैं- (1) कृतक त्रैलोक्य (2) महर्लोक, (3) अकृतक त्रैलोक्य।
A. भूलोक : जितनी दूर तक सूर्य, चंद्रमा आदि का प्रकाश जाता है, वह पृथ्वी लोक कहलाता है। हमारी पृथ्वी सहित और भी कई पृथ्वियां हैं।
B. भुवर्लोक : पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान को भुवर्लोक कहते हैं। इसमें सभी ग्रह-नक्षत्रों का मंडल है।
C. स्वर्लोक : सूर्य और ध्रुव के बीच जो चौदह लाख योजन का अंतर है, उसे स्वर्लोक या स्वर्गलोक कहते हैं। इसी के बीच में सप्तर्षि का मंडल है।
हम यहां बात कर रहे हैं- भूलोक में स्थित पाताल लोक की। आगे पढ़ें....