प्राचीनकाल में वर्ण होते थे लेकिन वर्तमान में इन्होंने जाति या समाज का रूप धारण के सत्यानाश कर दिया है। शूद्र, क्षत्रिय, वैश्य और फिर ब्राह्मण। यह मनुष्य की चार तरह की श्रेणियां थीं। शूद्र (क्षुद्र) रस्सी का प्रथम सिरा है तो ब्राह्मण रस्सी का अंतिम सिरा। प्रत्येक व्यक्ति को ब्राह्मण बनना है। जन्म से प्रत्येक व्यक्ति शूद्र है। प्रत्येक व्यक्ति शूद्र ही पैदा होता है, लेकिन वह बड़ा होकर कर्म या अपने भावानुसार क्षत्रिय, वैश्य या ब्राह्मणत्व धारण करता है। बहुत से लोग हैं जो किसी न किसी प्रकार का छोटा व्यापार करते हैं वह भी वैश्य ही है।
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