हिंदी ब्लॉग : वर्तमान और भविष्य
जाने-माने ब्लॉगर समीर लाल से वेबदुनिया की बातचीत
आपने ब्लॉग की शुरुआत कब और कैसे की। हिंदी में ब्लॉग शुरू करने का ख्याल कैसे आया। ब्लॉग एवं इन्टरनेट पर लेखन तो काफी सालों से चल रहा था, मगर वह अँग्रेजी में ही हुआ करता था और वह भी तकनीकी मसलों पर ही। फिर वर्ष 2005 में कविता लिखने का शौक जागा और तब ई-कविता याहू ग्रुप का सदस्य बना और हिन्दी यूनीकोड में लिखना बारहा के माध्यम से सीखा. वहीं से हिन्दी ब्लॉग के विषय में जाना और सन् 2005 मार्च में बस शौकिया लिखना शुरू कर दिया, अपने ब्लॉग उड़न तश्तरी पर। तब से लगातार उड़न तश्तरी इन्टरनेट पर अपनी उडान भर रही है.आपके कौन-कौन से ब्लॉग हैं।हिन्दी में मेरा एक मात्र ब्लॉग है, जिसका नाम उड़न तश्तरी है. हाँ, अग्रेजी में भी एक्सेल पर कभी-कभार लिखता हूँ मगर वह ज्यादा पर्सनल नोट्स ही हैं.ब्लॉग पर लिखते हुए क्या आप किन्हीं खास विषयों पर ही लिखते हैं। आप अपने विषयों का चुनाव किस तरह करते हैं।मैं हर विषय और विधा में लिखता हूँ। कविता, कहानी, व्यंग्य सभी। विषय तो बस अपने आसपास से पकड़ में आते रहते हैं। अधिकतर चारों ओर घट रही घटनाओं को ही विषयवस्तु बनाता हूँ। चुनाव करने से ज्यादा बचाव पर ध्यान रखता हूँ। मेरी यही कोशिश होती है कि ऐसे किसी विषय पर न लिखूँ, जो विवादास्पद हो सकती हैं या किसी को व्यक्तिगत रूप से दुखी कर सकती हैं। अन्यथा तो व्यंग्य और कहानी के माध्यम से जब जैसा विषय दिख जाए, एक आम बोलचाल की भाषा में लिखना पसंद करता हूँ।आपके पसंदीदा हिंदी ब्लॉग कौन-से हैं।बहुतेरे। एक का नाम लेना तो शायद संभव ही नहीं। सारे पसंदीदा अपने आप में अनोखे और अद्भुत हैं.वर्तमान में हिंदी ब्लॉगिंग की जो स्थिति है, उसके बारे में आपका क्या ख्याल है।अभी तो यह शुरुआती दौर से ही गुजर रही है। एक छोटा-सा समाज है। लोग एक-दूसरे को जानने लगे हैं। परस्पर व्यक्तिगत संबंध स्थापित हो रहे हैं। बाद में शायद यह वाला आयाम न रहे। रोज नए लोग आ रहे हैं। समुदाय बढ़ता जा रहा है। कभी कभार थोड़े-बहुत विवाद हो जाते हैं, मगर जल्द ही हल भी हो जाते हैं। मैं हिन्दी ब्लॉगिंग के सुनहरे भविष्य के लिये पूर्णतः आशान्वित हूँ।एक माध्यम के रूप में ब्लॉग अन्य माध्यमों ( टीवी और प्रिंट ) से किस तरह अलग है।इसे तो आप ऐसा मान लें कि जैसा आपने सोचा, वैसा आपने लिखा और ब्लॉग के माध्यम से आपने सुना दिया। हालाँकि अभी सुनने वाले कम हैं, मगर यह एक ऐसा माध्यम है, जो आपकी बात बिना किसी संपादकीय और अन्य काट-छाँट के त्वरित ही पाठकों तक पहुँचा देता है और आपको उनसे टिप्पणी के माध्यम से संवाद स्थापित करने का मौका देता है.
हिंदी ब्लॉगिंग के भविष्य को आप किस रूप में देखते हैं।बहुत ही सुनहरा भविष्य है. लोग हर पल जुड़ रहे हैं. आज लोग एग्रिगेटर्स के माध्यम से एक-दूसरे को जान रहे हैं, पढ़ रहे हैं। कल यही काम कुछ फीड बर्नर्स के माध्यम से होगा। शर्त है, निरंतर ऐसे ही कोशिश करते रहना होगा। इसमें कोई शक नहीं कि लोगों का इस ओर रुझान बढ़ रहा है और जिस विधा को लोग अभी आश्चर्य से देख रहे हैं, वही कल एक स्थापित सहज माध्यम होगी।इंटरनेट युग के इस नए आविष्कार के बारे में आपका क्या विचार है।एक अदभुत अहसास। कभी सोचते भी नहीं थे कि इस तरह से कोई संभावना जन्म लेगी। कितने ही बेहतरीन विचारों वाले लेखन में समृद्ध लोग अपनी बात बिना कहे या डायरी के पन्नों में दर्ज कर चले गए. भविष्य में इस आविष्कार के माध्यम से यह दरवाजा सबके लिए खुला है. लेखन को एक नया आयाम मिलेगा और हर सोच एवं विचार को विस्तार की एक संभावना.क्या आपको लगता है कि ब्लॉगिंग से हिंदी भाषा का विकास होगा।निश्चित तौर पर भाषा का विकास तो होगा ही. जैसे-जैसे यह प्रसार पाएगा, एक सहज प्रक्रिया के तहत हिंदी का भी विकास तो होगा ही।हिंदी ब्लॉगिंग में क्या कमियाँ हैं, जो दूर होनी चाहिए।अभी मुझे लगता है कि ब्लॉगिंग के माध्यम से जो वैचारिक विवाद उत्पन्न हो जाते हैं, लोग उसे व्यक्तिगत विवाद मानकर लड़ने लग जाते हैं. विचारों के मतभेद को व्यक्तिगत मतभेद से अलग रखकर जब वैचारिक स्तर पर ही बहस की जाएगी, तब एक बेहतर और स्वस्थ वातावरण का निर्माण होगा, जो ब्लॉगिंग को एक बेहतर दिशा देगा. हिंदी ब्लॉगिंग में किन विषयों पर नहीं लिखा जा रहा है, जो कि आपके अनुसार लिखा जाना चाहिए।मुझे लगता है कि अभी बहुत से विषय बाकी हैं, जिन पर बिल्कुल भी नहीं लिखा जा रहा है जैसेकि युवाओं के लिए करियर का मार्गदर्शन, नए पाठ्यक्रमों के विषय में जानकारी, शहरों और देशों के विषय में जानकारी, सामान्य-ज्ञान के विषयों पर, अलग-अलग संस्कृतियों के बारे में। बहुतेरे ऐसे विषय हैं, जिन पर लिखा जाना शुरू होना चाहिए। उम्मीद है, जल्द ही इन पर भी लिखा जाएगा।