कल तुझे डूबते हुए सुर्ख सूरज के साये में फिर एक बार देखा ... रात, बड़ी देर तक तेरा साया मेरे साथ ही था ..
एक ख्वाब तेरा चेहरा लिए ;खुदा के घर से दबे पाँव मेरी नींद की आगोश में सिमट आया ... और रात की गहराती परछाईयो ने ; तुझे और मुझे ; अपने इश्क़ की बाहों में समेट लिया ...
सुबह देखा तो तेरी हथेली में मेरा नाम खुदा हुआ था .. मेरे जिस्म में तेरे अहसास भरे हुए थे ...
बादलो से भरे आसमान से खुदा ने झाँका और हमें कुछ मोती दिए मोहब्बत की सौगात में ....
कुछ तुमने अपने भीतर समा लिया कुछ मेरे पलकों के किनारों पर ; आंसू बन कर टिक गए ...
खुदा ने जो नूर की बूँद दी है मोहब्बत के नाम पर ... उसे अब ताउम्र एक ही ओक में पीना है ; जिसमे एक हथेली तेरी हो और एक हथेली मेरी हो .....
आओ इस अहसास को जी ले , जिसे मोहब्बत कहते हैं ...!!