शांत झील में फेंके कंकर से उठती जल-तरंगें हैं प्रेम। जो कर देती हैं शांत झील को अशांत। या फिर तितली से उड़ते,नाचते, रफ्तार भरे जीवन को शांत, सलज्ज बना दे वह है प्रेम।