अब ज़िन्दगी से प्यार होने लगा
कुलवंत हैप्पी नफरत थी जिन ख्यालों सेनफरत थी जिन ख्यालों सेदिल उन्हीं ख्यालों में खोने लगातुमसे क्या मिले, अब ज़िन्दगी से प्यार होने लगा। काट दिया था, जिन उम्मीद के पौधों कोकाट दिया था, जिन उम्मीद के पौधों कोमन वो ही बीज बोने लगातुमसे क्या मिले, अब ज़िन्दगी से प्यार होने लगा तुम सपनों में क्या आने लगेतुम सपनों में क्या आने लगेदिल सुकून की नींद सोने लगातुमसे क्या मिले, अब ज़िन्दगी से प्यार होने लगा।