वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस साल स्थिति सुधरी है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि 2010 में विश्व अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पाँच फीसदी रहने की उम्मीद है। वहीं अटलांटिक के दूसरी ओर राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने तथा आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रयास हो रहे हैं।
जहाँ संकट में फँसा यूरोप कई तरह के कड़े उपाय कर रहा है, वहीं अमेरिका ज्यादा से ज्यादा डॉलर छापने में लगा है।
वैश्विक सलाहकार फर्म डेलायट इंडिया के प्रमुख अर्थशास्त्री शांतो घोष ने कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट के बाद अनिश्चितता और खुद को स्थिर करने के प्रयास 2010 के दौरान ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं की प्रमुख विशेषता रही।
संकट के दौर के बीच समीकरण भी बदले हैं। किसी समय अधिकार या शक्तियों पर विकसित विश्व का एकाधिकार होता था, पर इस साल अधिकार भारत और चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की ओर स्थानांतरित हुआ। (भाषा)