शनिवार, 14 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. गणतंत्र दिवस
  4. Was there democracy even in Mahabharata and Buddhist times
Written By WD Feature Desk

26 जनवरी गणतंत्र दिवस : क्या महाभारत और बौद्ध काल में भी था लोकतंत्र

प्राचीन भारत में गणतंत्र के साथ राजशाही तंत्र भी हुआ करता था

26 January Republic day: क्या महाभारत और बौद्ध काल में भी था लोकतंत्र - Was there democracy even in Mahabharata and Buddhist times
Republic day 2024: 26 जनवरी 1950 को भारत में गणतंत्र लागू हुआ। 1947 से पूर्व भारत में अंग्रेजों का शासन था। उससे पूर्व भारत कई रजवाड़ों में विभक्त होकर राजाओं का शासन था। परंतु प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल की शुरुआत तक भारत में कई राज्य गणतांत्रिक रहे हैं। आओ जानते हैं कि महाभारत काल और बौद्धकाल में गणतंत्र होता था या नहीं?
 
महाभारत काल में गणतंत्र:-
शूरसेन और द्वारिका : महाभारत काल में 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है। महाभारत काल में प्रमुखरूप से 16 महाजनपद और लगभग 200 जनपद थे। उक्त 16 महाजनपदों के अंतर्गत छोटे जनपद भी होते थे। उक्त में कई में तो राजशाही थी या तानाशाही। मगध जनपद में तानाशाही का ही इतिहास रहा है। परंतु उक्त सभी में शूरसेन जनपद का इतिहास गणराज्य ही रहा है। बीच में कंस के शासन ने इस जनपद की छवि खराब की थी। इसी के साथ ही श्रीकृष्‍ण ने द्वारिका की स्थापना की तो उनका राज्य भी जनता को महत्व देता था।
 
महाभारत में लोकतंत्र के सूत्र : महाभारत में भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के सूत्र मिलते हैं। महाभारत में जरासंध और उसके सहयोगियों के राज्य को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में गणतंत्र को महत्व दिया जाता था। महाभारत काल में सैकड़ों राज्य और उनके राजा थे, जिनमें कुछ बड़े थे तो कुछ छोटे। कुछ सम्राट होने का दावा करते थे, तो कुछ तानाशाह और अत्याचारी थे। कुछ असभ्य लोगों का झुंड भी था, जिसे आमतौर पर राक्षस कहा जाता था। लेकिन जो राज्य महर्षि पराशर, महर्षि वेद व्यास जैसे लोगों की धार्मिक देशनाओं से चलता था वहां गणतांत्रिक व्यवस्था थी। महाभारत काल में अंधकवृष्णियों का संघ गणतंत्रात्मक था।
 
'यादवा: कुकुरा भोजा: सर्वे चान्धकवृष्णय:,
त्वय्यासक्ता: महाबाहो लोकालोकेश्वराश्च ये।
'भेदाद् विनाश: संघानां संघमुख्योऽसि केशव' - महाभारत शांतिपर्व 81,25/ 81,29
 
वृष्णियों का तथा अंधकों का पुराणों में उल्लेख मिलता है। वृष्णि गणराज्य शूरसेन प्रदेश में स्थित था। इस प्रदेश के अंतर्गत मथुरा और शौरिपुर दो गणराज्य थे। अंधकों के प्रमुख उग्रसेन थे जो आहुक के पुत्र और कंस के पिता थे। दूसरी ओर शूरसेन के पुत्र वसुदेव थे जो वृष्णियों के मुखिया थे। वृष्णि तथा अंधकों दोनों राज्यों को मिलाकर एक संघ बनाया गया था जिसका प्रमुख राजा उग्रसेन को बनाया गया था। इस संघीयराज्य में वंश या परंपरा का शासन न होकर समयानुसार जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते थे। आपातकाल या युद्धकाल में ही सत्ता में बदलाव होता था।
26 January Republic day 2024
बौद्धकाल में गणतंत्र:
महाभारत काल में अंधकवृष्णियों के गणतंत्रात्मक संघ के बाद बौद्धकाल में (450 ई.पू. से 350 ई.) में भी चर्चित गणराज्य थे। जैसे पिप्पली वन के मौर्य, कुशीनगर और काशी के मल्ल, कपिलवस्तु के शाक्य, मिथिला के विदेह और वैशाली के लिच्छवी का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है। इसके बाद अटल, अराट, मालव और मिसोई नामक गणराज्यों का भी जिक्र किया जाता है। बौद्ध काल में वज्जी, लिच्छवी, वैशाली, बृजक, मल्लक, मदक, सोमबस्ती और कम्बोज जैसे गंणतंत्र संघ लोकतांत्रिक व्यवस्था के उदाहरण हैं। वैशाली के पहले राजा विशाल को चुनाव द्वारा चुना गया था।
 
भगवान महावीर और बुद्ध के समय में उत्तर पूर्वी भारत गणराज्यों का प्रधान क्षेत्र था और लिच्छवि, विदेह, शाक्य, मल्ल, कोलिय, मोरिय, बुली और भग्ग उनके मुख्य प्रतिनिधि थे। लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व नेपाल की तराई से लेकर गंगा के बीच फैली भूमि पर वज्जियों तथा लिच्‍छवियों के संघ (अष्टकुल) द्वारा गणतांत्रिक शासन व्यवस्था की शुरुआत की गयी थी। यहां का शासक जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता था। विष्णु पुराण के अनुसार यहां पर लगभग 34 राजाओं ने राज किया था। पहले नभग और अंतिम सुमति थे। राजा सुमति भगवान राम के पिता राजा दशरथ के समकालीन थे।
 
चाणक्य की राय : कौटिल्य अपने अर्थशास्त्र में लिखते हैं कि गणराज्य 2 तरह के होते हैं, पहला अयुध्य गणराज्य अर्थात ऐसा गणराज्य जिसमें केवल राजा ही फैसले लेते हैं, दूसरा है श्रेणी गणराज्य जिसमें हर कोई भाग ले सकता है।

पाणिनी की राय : कौटिल्य के पहले पाणिनी ने कुछ गणराज्यों का वर्णन अपने व्याकरण में किया है। पाणिनी की अष्ठाध्यायी में जनपद शब्द का उल्लेख अनेक स्थानों पर किया गया है, जिनकी शासनव्यवस्था जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथों में रहती थी।

यूनान :  यूनान ने भारत को देखकर ही गणराज्यों की स्थापना की थी। यूनान के राजदूत मेगास्थनीज ने भी अपनी पुस्तक में क्षुद्रक, मालव और शिवि आदि गणराज्यों का वर्णन किया है।
 
बौद्ध ग्रन्थ: बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय, महावस्तु के अनुसार बौद्ध काल में ये जनपद थे- अंग, अश्मक, अवंती, चेदि, गांधार, काशी, काम्बोज, कोशल, कुरु, मगध, मल्ल, मत्स्य, पांचाल, सुरसेन, वज्जि और वत्स। इसमें अवंतिका के राजा विक्रमादित्य का राज्य सबसे बड़ा गणतांत्रिक राज्य था।.... इसके बाद राजा हर्षवर्धन तक गणतंत्र का महत्व रहा। बाद में भारत में जब अरब, तुर्क और फारस का आक्रमण बढ़ा तो परिस्थितियां बदलती गई।
ये भी पढ़ें
26 जनवरी 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त