भगवान विष्णु चातुर्मास में ही निद्रासन में क्यों होते हैं? पौराणिक कथा
हिन्दू माह का चौथा माह होता है आषाढ़ माह। इस माह की शुक्ल एकादशी से चातुमास प्रारंम हो जाते हैं। आषाढ़ी एकादशी के दिन से चार माह के लिए विष्णु भगवान चार माह के लिए सो जाते हैं। चातुरर्मास का प्रारंभ आषाढ़ी शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक रहता है। चातुर्मास की शुरुआत का दिन देवशयनी एकादशी कहा जाता है तो अंत का दिन 'देवोत्थान एकादशी' कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार चातुर्मास का प्रारंभ 12 जुलाई 2021 को हो रहा है। आओ जानते हैं चातुर्मास की पौराणिक कथा।
कहते हैं राजा बलि ने त्रिलोक पर अपना अधिकार कर लिया और वह अपना 100वां यज्ञ कर रहे थे। इससे घबराकर देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। तब भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लेकर राजा बलि से 3 पग धरती दान में मां ली। शुक्राचार्य के चेताये जाने के बाद भी राजा बलि ने दान देने की बात जब स्वीकार की तो भगवान विष्णु ने 2 पग में धरती और आकाश नाप लिया और तीसरे पग के लिए जब बालि से कहा तो बालि ने कहा कि प्रभु अब तो मेरा सिर ही बचा है। यह सुनकर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंने राजा बालि को पाताल लोक का राजा बनाकर कहा कि वर मांगों। तब राजा बलि ने अपने साथ पाताल लोक चलकर वहीं साथ में निवास करने का वर मांगा।
वर अनुसार भगवान विष्णु राजा बलि की बात मानते हुए पाताल लोक चले गए। इससे सभी देवी-देवता और माता लक्ष्मी चिंतित हो गई। माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को मुक्त कराने के लिए एक युक्ति अपनाई। जिसके अनुसार मां लक्ष्मी ने एक गरीब स्त्री का वेश धारण करके राजा बलि को राखी बांधी और बदले में भगवान विष्णु को मांग लिया। इस प्रकार भगवन विष्णु को मुक्त करा लिया। परंतु भगवान विष्णु अपने भक्त को निराश नहीं करते। इस लिए आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक मास की एकादशी तक पाताल लोक में निवास करने का वचन दिया। यही कारण है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु पाताल लोक में निद्रासन में चले जाते हैं।