शुक्रवार, 29 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. पौराणिक कथाएं
  4. know why lord brahma is not being worshipped
Written By

क्यों नहीं पूजे जाते हैं ब्रह्मा? किसने दिया उन्हें यह बड़ा शाप?

क्यों नहीं पूजे जाते हैं ब्रह्मा? किसने दिया उन्हें यह बड़ा शाप? - know why lord brahma is not being worshipped
ब्रह्मा, विष्णु और महेश, इन त्रिमूर्तियों को कौन नहीं जानता है। एक ओर जहां ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता माना जाता है, तो वहीं भगवान विष्णु को संसार का पालनहार और भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है। इन त्रिदेवों में से भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा पूरी दुनिया में होती है, लेकिन ब्रह्मा जी की पूजा संसार में कहीं नहीं होती है। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों है? 
 
ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता होने के साथ-साथ वेदों के भी देवता माने जाते हैं। उन्होंने ही हमें चार वेदों का ज्ञान दिया। हिंदू धर्म के अनुसार, उनकी शारीरिक संरचना भी बेहद अलग है। चार चेहरे और चार हाथ एवं चारों हाथों में एक-एक वेद लिए ब्रह्माजी अपने भक्तों का उद्धार करते हैं, लेकिन इस देव की पूजा कोई नहीं करता है। 
 
यूं तो धरती लोक पर ब्रह्माजी के कई मंदिर हैं, लेकिन वहां ब्रह्माजी की पूजा करना वर्जित माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार ब्रह्माजी के मन में धरती की भलाई के लिए यज्ञ करने का ख्याल आया। अब यज्ञ के लिए जगह की तलाश करनी थी। इसके लिए उन्होंने अपनी बांह से निकले हुए एक कमल को धरती लोक की ओर भेजा। कहते हैं कि जिस स्थान पर वह कमल गिरा वहां ही ब्रह्माजी का एक मंदिर बनाया गया है। यह स्थान है राजस्थान का पुष्कर शहर, जहां उस पुष्प का एक अंश गिरने से तालाब का निर्माण भी हुआ था। 
 
पुष्कर में ब्रह्मा जी के दर्शन के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर इस मंदिर के आसपास बड़े स्तर पर मेला लगता है, जिसे पुष्कर मेले के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन फिर भी यहां कोई भी ब्रह्मा जी की पूजा नहीं करता। 
 
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी यज्ञ करने के लिए ब्रह्मा जी पुष्कर पहुंचे, लेकिन उनकी पत्नी सावित्री ठीक समय पर नहीं पहुंचीं। पूजा का शुभ मुहूर्त बीतता जा रहा था। सभी देवी-देवता यज्ञ स्थली पर पहुंच गए थे, लेकिन सावित्री का कोई अता-पता नहीं था। कहते हैं कि जब शुभ मुहूर्त निकलने लगा, तब कोई उपाय न देखकर ब्रह्मा जी ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर अपना यज्ञ पूरा किया। 
 
कहते हैं कि जब सावित्री यज्ञ स्थली पहुंचीं, तो वहां ब्रह्मा जी के बगल में किसी और स्त्री को बैठे देख वो क्रोधित हो गईं। गुस्से में उन्होंने ब्रह्मा जी को शाप दे दिया और कहा कि जाओ इस पृथ्वी लोक में तुम्हारी कहीं पूजा नहीं होगी। हालांकि बाद में जब उनका गुस्सा शांत हुआ और देवताओं ने उनसे शाप वापस लेने की विनती की तो उन्होंने कहा कि धरती पर सिर्फ पुष्कर में ही ब्रह्मा जी की पूजा होगी। इसके अलावा जो कोई भी आपका दूसरा मंदिर बनाएगा, उसका विनाश हो जाएगा। 
 
पद्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी पुष्कर के इस स्थान पर 10 हजार सालों तक रहे थे। इन सालों में उन्होंने पूरी सृष्टि की रचना की। पुष्कर में मां सावित्री की भी काफी मान्यता है। कहते हैं कि क्रोध शांत होने के बाद मां सावित्री पुष्कर के पास मौजूद पहाड़ियों पर जाकर तपस्या में लीन हो गईं और फिर वहीं की होकर रह गईं। मान्यतानुसार, आज भी देवी यहीं रहकर अपने भक्तों का कल्याण करती हैं। उन्हें सौभाग्य की देवी माना जाता है। 
 
मान्यता है कि मां सावित्री के इस मंदिर में पूजा करने से सुहाग की लंबी उम्र होती है और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। यहां भक्तों में सबसे ज्यादा महिलाएं ही आती हैं और प्रसाद के तौर पर मेहंदी, बिंदी और चूड़ियां मां को चढ़ाती हैं। 
 
ये भी पढ़ें
शाकंभरी नवरात्रि 2019 : नौ दिन होगी इस देवी की साधना, 21 को मनेगी शाकंभरी जयंती