शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. धार्मिक स्थल
  4. Tripurmalini mata Shaktipeeth jalandhar punjab

51 Shaktipeeth : त्रिपुरमालिनी, जालंधर पंजाब शक्तिपीठ-23

51 Shaktipeeth : त्रिपुरमालिनी, जालंधर पंजाब शक्तिपीठ-23 - Tripurmalini mata Shaktipeeth jalandhar punjab
देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है माता सती के शक्तिपीठों में इस बार त्रिपुरमालिनी, जालंधर पंजाब शक्तिपीठ के बारे में जानकारी।
 
कैसे बने ये शक्तिपीठ : जब महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी जो जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। हालांकि पौराणिक आख्यायिका के अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पत्ति हुई, जो भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे, जिनमें में 51 का खास महत्व है।
 
त्रिपुरमालिनी-जालंधर : देवी भागवत पुराण में सभी शक्तिपीठों का जिक्र मिलता है। पंजाब के जालंधर में उत्तर में छावनी स्टेशन से मात्र 1 किलोमीटर दूर देवी तलाब जहां माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था। इसकी शक्ति है त्रिपुरमालिनी और शिव या भैरव को भीषण कहते हैं। इस शक्तिपीठ की ख्‍याति देवी तालाब मंदिर के नाम से है। यह मंदिर तालाब के मध्य स्थित है। इसे ‘स्तनपीठ’ एवं 'त्रिगर्त तीर्थ' भी कहा जाता है। संभवत: प्राचीन जालंधर से त्रिगर्त प्रदेश (वर्तमान कांगड़ा घाटी), जिसमें 'कांगड़ा शक्ति त्रिकोणपीठ' की तीन जाग्रत देवियां- 'चिन्तापूर्णी', 'ज्वालामुखी' तथा 'सिद्धमाता विद्येश्वरी' विराजती हैं। यहां की अधिष्ठात्री देवी त्रिशक्ति काली, तारा व त्रिपुरा हैं। फिर भी स्तनपीठाधीश्वरी श्रीव्रजेश्वरी ही मुख्य मानी जाती हैं जिन्हें विद्याराजी भी कहते हैं। वशिष्ठ, व्यास, मनु, जमदग्नि, परशुराम आदि महर्षियों ने यहां आकर शक्ति की पूजा-आराधना की थी। इसके साथ ही भगवान शिव ने जालंधर नाम के राक्षस का वध किया था, जिसके बाद से ही इस जगह का नाम जालंधर पड़ गया।
 
 
मंदिर का शिखर सोने से बनाया गया है। धातु से बने मुख के दर्शन भक्तों को कराए जाते हैं। मुख्य भगवती के मंदिर में तीन मूर्तियां हैं। इन तीनों में मां भगवती के साथ मां लक्ष्मी और मां सरस्वती विराजमान हैं। परिक्रमापथ परिसर लगभग 400 मीटर में फैला हुआ है। समय-समय पर मंदिर परिसर में मां के जगरातें और नवरात्रों में बड़ी धूम-धाम से मेला लगता है।