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Last Updated : सोमवार, 11 अक्टूबर 2021 (08:56 IST)

Mandir Mystery : मां शारदामाई के इस दरबार में सैकड़ों साल से कर रहे हैं आल्हा-ऊदल आरती

Mandir Mystery : मां शारदामाई के इस दरबार में सैकड़ों साल से कर रहे हैं आल्हा-ऊदल आरती - Mystery of Sharda Mata Mandir
नमस्कार! 'वेबदुनिया' के मंदिर मिस्ट्री चैनल में आपका स्वागत है। आप जानते ही हैं कि भारत में सैकड़ों चमत्कारिक और रहस्यमय मंदिर हैं। उनमें से कुछ मंदिरों को आपने देखा भी होगा और कुछ के रहस्य को अभी तक सुलझाया नहीं जा सका है। ऐसा ही एक महाकाली शारदा मैया का मंदिर भारतीय राज्य मध्यप्रदेष के मैहर में स्थित है। आओ जानते हैं कि क्या रहस्य है इस मंदिर का?
 
इस मंदिर में रात में रुकना है मना, हो जाती है मौत
 
1. चमत्कारिक है माता का मंदिर : त्रिकूट पर्वत पर स्थित माता के इस मंदिर को मैहर देवी का शक्तिपीठ कहा जाता है। मैहर का मतलब है मां का हार। माना जाता है कि यहां मां सती का हार गिरा था इसीलिए इसकी गणना शक्तिपीठों में की जाती है। करीब 1,063 सीढ़ियां चढ़ने के बाद माता के दर्शन होते हैं। दाएं नृसिंह और बाएं भैरव और पहरा हनुमान लगाते हैं। यहां माता शारदा की मूर्ति की स्थापना विक्रम संवत 559 में की गई थी।
 
2. कपाट के बंद होने के बाद आती है मंदिर से घंटी की आवाज : मान्यता है कि शाम की आरती होने के बाद जब मंदिर के कपाट बंद करके सभी पुजारी नीचे आ जाते हैं तब यहां मंदिर के अंदर से घंटी और पूजा करने की आवाज आती है। कहते हैं कि मां के भक्त आल्हा अभी भी पूजा करने आते हैं। अक्सर सुबह की आरती वे ही करते हैं।
 
3. आज भी आल्हा करते हैं पहले श्रृंगार : इस मंदिर में अभी भी आल्हा मां शारदा की पूजा करने सुबह पहुंचते हैं। मैहर मंदिर के महंत पंडित देवी प्रसाद बताते हैं कि अभी भी मां का पहला श्रृंगार आल्हा ही करते हैं और जब ब्रह्म मुहूर्त में शारदा मंदिर के पट खोले जाते हैं तो पूजा की हुई मिलती है।
 
4. कौन थे आल्हा और ऊदल : आल्हा और ऊदल दो भाई थे। ये बुन्देलखण्ड के महोबा के वीर योद्धा और परमार के सामंत थे। दोनों भाई माता शारदा के भक्त थे। उन्होंने 52 लड़ाइयां लड़ी थी और अंतिम लड़ाई में पृथ्‍वीराज चौहान हारना पड़ा था। कहते हैं कि इस युद्ध में उदल वीरगति को प्राप्त हो गया था। गुरु गोरखनाथ के आदेश से आल्हा ने पृथ्वीराज को जीवनदान दे दिया था। लेकिन इसके पश्चात आल्हा के मन में वैराग्य आ गया और वे माता की भक्ति में लीन हो गए। उन्होंने अपनी शीश चढ़ाकर माता से अमरता का वरदान प्राप्त किया था।
 
5. इस मंदिर में रात में रुकना है मना, हो जाती है मौत : मान्यता है कि जो भी इस मंदिर और इसके परिसर में रात को रुकता है सुबह तक उसकी मौत हो जाती है। इसीलिए यहां पर शाम को 8 बजे बाद गर्भगृह सहित मंदिर के द्वार और परिसर के सभी ताले लगाकर पुजारी सहित सभी कर्मचारी पहाड़ी के नीचे चले जाते हैं। 
 
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