अयोध्या का मणि पर्वत, जानिए 5 खास पौराणिक बातें
पवित्र नगरी अयोध्या भारत के प्राचीन नगरों में से एक है। यह चार धर्मों हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख का प्रमुख केंद्र है। चारों ही धर्मों के लिए यह नगर पवित्र और तीर्थ नगर है। अयोध्या में एक मणि पर्वत है जिसके संबंध में 5 पौराणिक बातें निकलकर सामने आती है।
1. मणि पर्वत और बुद्ध : ऐसा कहते हैं कि भगवान बुद्ध की प्रमुख उपासिका विशाखा ने बुद्ध के सानिध्य में अयोध्या में धम्म की दीक्षा ली थी। इसी के स्मृतिस्वरूप में विशाखा ने अयोध्या में मणि पर्वत के समीप बौद्ध विहार की स्थापना करवाई थी। यह भी कहते हैं कि बुद्ध के माहापरिनिर्वाण के बाद इसी विहार में बुद्ध के दांत रखे गए थे।
2. संजीवनी बूटी का पहाड़ : रामायण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि जब भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण को मेघनाद ने युद्ध के दौरान घायल कर दिया था तो संजीवनी बूटी लेने के लिए हनुमानजी को भेजा गया था, लौटते वक्त वे अयोध्या के आकाश से गुजर रहे थे तब भारतजी ने शत्रु समझकर हनुमानजी पर वार किया था जिसके चलते हनुमानजी यहां गिर पड़े थे। बाद में जब भरतजी को पता चला तो वे बहुत पछताए और हनुमानजी से क्षमा मांगी। फिर हनुमानजी पुन: उस पहाड़ा को उठाकर जाने लगे तब पहाड़ का छोटासा हिस्सा यहां गिर गया था।
3. क्या मणि पर्वत ही है वह पहाड़ : किवंदति अनुसार वर्तमान में इस टीले को या पहाड़ी को मणि पर्वत के नाम से जाना जाता है। इस पर्वत के पास में ही एक और टीला स्थित है जिसे सुग्रीव पर्वत कहा जाता है। कहते हैं कि मणि पर्वत ही संजीवनी वाला पहाड़ का टूकड़ा है।
4. कितना बड़ा है ये पहाड़ : मणि पर्वत की ऊंचाई 65 फीट है। यह पर्वत कई मंदिरों का घर है। अगर आप पहाड़ी की चोटी पर खड़े होते हैं तो यहां से पूरे शहर और आसपास के क्षेत्रों का मनोरम दृश्य देख सकते हैं।
5. यहां रुके थे बुद्ध : यह भी कहा जाता है कि भगवान बुद्ध, अयोध्या में 6 साल रूके थे और उन्होंने मणि पर्वत पर ही अपने शिष्यों को धम्म ज्ञान दिया था। इस पर्वत पर सम्राट अशोक के द्वारा बनवाया एक स्तूप है। इस पर्वत के पास में ही प्राचीन बौद्ध मठ भी है। मुस्लिम काल में टीले के निचले हिस्से में मुस्लिम कब्र यार्ड भी बना है।